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स्टूडेंट्स ऐसे बने ग्लोबल सिटीजन

जानिए हर स्टूडेंट को ग्लोबल सिटिजन कैसे और क्यों बनना चाहिए...

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विद्या येरावडेकर पुणे में अपना हॉस्पिटल चलाते हुए खुश थीं. उनकी पिता एस.बी. मजूमदार की सिम्बायोसिस सोसाइटी में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं थी. लेकिन मस्कट में स्वास्थ्य मंत्रालय में पांच साल काम करने के दौरान स्त्री रोग और प्रसूति में पोस्ट ग्रेजुएट विद्या ने एकेडमिक और एजुकेशन की फील्ड में उतरने का फैसला किया. उस देश में 'व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य साक्षरता' देखकर उन्होंने इसे भारत में भी लागू करने का निश्चय किया. उन्होंने सिम्बायोसिस परिवार से ही अपने ही इस विचार को अमली जामा पहनाने की शुरुआत की.

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1997 में उन्होंने इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स और स्टाफ को मुफ्त में इलाज की सुविधा देने के लिए सिक्वबायोसिस सोसाइटी में सिम्बायोसिस सेंटर फॉर हेल्थकेयर की स्थापना की और इस तरह अपने पिता की ओर से चलाई जाने वाली सिम्बायोसिस सोसाइटी में उन्होंने कदम रखा.

ग्लोबल आकार विद्या ने दुनिया भर के स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए सिम्बायोसिस का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का फैसला किया. आज सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में 85 देशों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और इस यूनिवर्सिटी ने 54 विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ सहयोग स्थापित कर लिया है और उनके साथ अपने कोर्सेज का आदान-प्रदान कर रही है. इनमें से एक है स्टडी इंडिया प्रोग्राम, जिसमे विकसित देशों के स्टुडेंट्स इंडिया पर केंद्रित आठ हफ्ते के कोर्स की पढ़ाई करते हैं. विद्या कहती हैं, 'स्टूडेंट्स का दूसरे देशों के साथ आदान-प्रदान बहुत जरूरी है क्योंकि हमारा मानना है कि हर स्टूडेंट एक ग्लोबल नागरिक है.' ग्लोबल इमरशन प्रोग्राम में स्टूडेंट्स और फैकल्टी मेंबर्स को स्कॉलरशिप दी जाती है ताकि वे सहयोगी विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर सकें. विद्या का मानना है कि इससे उनके नजरिए में व्यापकता आती है.

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एजुकेशन के इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को अपनाने की इच्छा की वजह से उन्होंने चॉयस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम तैयार किया है, जो स्टूडेंट्स को  इंटरडिसिप्लिनरी कोर्सों के जरिए क्रेडिट जमा करने की सुविधा देता है. उदाहरण के लिए, इंजीनियरिंग का कोई स्टूडेंट चाहे तो फोटोग्राफी या फैशन का कोर्स कर सकता है. विद्या कहती हैं, 'एजुकेशन में किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.' तीन साल पहले सिम्बायोसिस ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज सेटअप किया था, जिसने विदेश मंत्रालय के साथ सहयोग स्थापित कर लिया ताकि अफ्रीका के साथ डेवलपमेंट में पार्टनरशिप, भारत की लुक ईस्ट ऐक्ट ईस्ट नीति, इंडिया लिंक वेस्ट विद जीसीसी ईरान ऐंड इराक पर फोकस इंटरनेशनल रिलेशन पर चर्चा को प्रोत्साहित किया जा सके और नए आइडिया डेवलप किए जा सकें.

विद्या की पसंदीदा प्रोजेक्टस में एक है सेंटर फॉर वेस्ट मैनेजमेंट ऐंड सस्टेनेबिलिटी, जिसने सिंगापुर की नयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी है ताकि वेस्ट डिस्पोजल मेथड्स पर रिसर्च की जा सके और प्रभावी उपाय खोजे जा सकें. अपनी लर्निंग को इम्पीलमेंट करते हुए बहुत बड़े इलाके में फैली सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बेहद कारगर सिस्टम है, जो 25 करोड़ लीटर पानी का संचय कर सकता है. इससे चार महीने तक पूरे कैंपस में पानी की जरूरत पूरी हो जाती है.

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एसआइयू ने हाल ही में जाने-माने जियोलॉजिस्ट से कैंपस के जियोलॉजी की मैपिंग कराई है. रिसर्च से पता चला है कि यह कैंपस दक्कन पठार के जियोलॉजी की स्टडी के लिए माइक्रो लैब है. इस महीने के आखिर में एसआइयू सिंगिंग रॉक्स ऑफ सिम्बायोसिस पर बुक भी निकालने जा रही है. इससे पहले यूनिवर्सिटी कैंपस में फ्लोरा की मैपिंग को क्रलोरा ऐट सिम्बायोसिस में शामिल किया जा चुका है.

विद्या कॉलेज में पढ़ाई करने वाले हर नए स्टुडेंट को यही सलाह देती हैं. वे कहती हैं, 'स्टुडेंट को ग्लोबल सिटिजन बनने के गुर सीखने चाहिए. इंटरनेशनल नेटवर्किग से ग्लोबल जानकारी  मिलती है और क्या पता आपका वही दोस्त कोई नया बिजनेस शुरू करने या विदेश में एजुकेशन का मौका मुहैया कराने में काम आ जाए.'

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