सीसैट के मुद्दे पर संसद और सड़क पर मोदी सरकार को किरकिरी से बचाने के लिए अब संघ और बीजेपी ने कमान संभाल ली है. शुक्रवार को राम माधव और पार्टी महासचिव जेपी नड्डा ने सीसैट के मुद्दे पर आंदोलनरत तमाम गुटों के छात्रों से मुलाकात की. घंटों चली इस मुलाकात के दौरान आंदोलनरत छात्रों ने अपनी मांगों के पक्ष में तर्क रखे. साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि छात्र अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से चलाएंगे.
इसके बाद पार्टी मुख्यालय में इस मसले पर मोदी सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को बुलाया गया. राम माधव ने उन्हें संगठन की चिंताओं से विस्तार से अवगत करा दिया. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार देर सवेर मनमोहन सिंह के समय किए गए बदलवाओं का रिवीजन करने वाली थी. मगर सत्र शुरू होते ही आंदोलन के चलते सरकार को पर्याप्त समय नहीं मिल पाया. बताया जा रहा है कि यूपीएससी के चेयरमैन डीपी अग्रवाल इस मसले पर अड़ियल रवैया अपना रहे हैं. वह सीसैट के मौजूदा प्रारूप में किसी भी तरह के बदलाव के खिलाफ हैं. मगर मोदी सरकार इस मसले पर छात्रों के हितों का ध्यान रखते हुए ही फैसला करने का मन बना चुकी है.
शनिवार को राम माधव आंदोलनकारी छात्रों का पक्ष रखते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर रहे हैं. उसके बाद मोदी सरकार रविवार तक इस मसले पर फैसला कर लेगी और सोमवार को संसद में इसका ऐलान भी कर दिया जाएगा. उधर इससे पार्टी संगठन की हाइरार्की भी साफ हो गई है. राम माधव को संघ से बीजेपी में इसलिए लाया गया था ताकि वह सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय कर सकें. अभी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने औपचारिक तौर पर अपनी टीम का ऐलान नहीं किया है. मगर यह तय है कि शाह की टीम में राम माधव अहम भूमिका निभाएंगे. उसी कड़ी में राम माधव ने यह पहल की.
उधर वर्मा कमेटी की रिपोर्ट भी सरकार को मिल गई है. इसमें सीसैट को बनाए रखने की संस्तुति की गई है. मगर मौजूदा स्वरूप में नहीं. आंदोलन कर रहे छात्रों ने राम माधव के सामने चार मांगें रखी हैं. जिनके बारे में बात करने के लिए शनिवार को राम माधव केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलेंगे.
ये हैं छात्रों की मांगें....
1. सीसैट के पेपर को क्वालीफाइंग नेचर का कर दिया जाए. यानी इस पेपर के नंबर जुड़ें नहीं. बस इस पेपर को पास भर करना हो. इससे ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम से सिविल सर्विसेज का एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स की मेरिट पहले की तरह बेहतर हो जाएगी.
2. आंदोलनरत छात्रों की दूसरी मांग है कि इस मसले पर विरोध प्रदर्शन के चलते उनकी पढ़ाई बाधित हुई है. ऐसे में एग्जाम को एक महीने के लिए बढ़ा दिया जाए. हालांकि सरकार को लगता है कि यह मांग माना जाना व्यावहारिक नहीं है. क्योंकि यूपीएससी सिविल सर्विसेज के अलावा दूसरे एग्जाम भी करवाती है. एक डेट खिसकाते ही साल भर का शेड्यूल बिगड़ सकता है.
3. छात्रों की यह भी मांग है कि सीसैट के लागू होने के साल यानी 2011 से अपीयर हुए छात्रों को दो साल का ग्रेस दिया जाए. यानी छात्रों को दो अतिरिक्त मौके मिलेंगे.
4. जनरल स्टडीज के दोनों पेपर को मिलाकर एक ही पेपर कर देने की संस्तुति की जाए. इससे इतिहास, भूगोल और अर्थशास्त्र जैसे विषयों से आने वाले सवालों का वेटेज बढ़ जाएगा.