दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि यहां लॉ फैकल्टी में पार्ट-टाइम लेक्चरर के पद पर कथित तौर पर मनमाने तरीके से नियुक्ति हुए अयोग्य उम्मीदवारों के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब दाखिल करे.
न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव ने डीयू को नोटिस जारी करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा लॉ फैकल्टी में गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के लिए उनकी जरूरी योग्यताओं के संबंध में छह जून को जारी विज्ञापन को चुनौती देने वाली अपील पर वह हलफनामा दायर करें .
अदालत ने यह नोटिस एक वकील की याचिका पर जारी किया है. वकील का आरोप है कि यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए इस उल्लंघन के कारण इतने प्रतिष्ठित संस्थान में लॉ की शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है. अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख निर्धारित की है. यह याचिका वकील जमशेद अंसारी ने दायर की है.
उन्होंने कहा है कि अध्यादेश 11बी में लॉ के अंशकालिक प्राध्यापकों के लिए आवश्यक पात्रता का जिक्र है जिसके मुताबिक कानून में ग्रेजुएट की डिग्री 50 फीसदी अंकों के साथ या इतने ही ग्रेड एवं हाईकोर्ट के स्तर पर वकील के तौर पर पांच साल की प्रैक्टिस अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. उन्होंने कहा है लेकिन प्रतिवादी ने ऐसे प्रतिभागियों के आवेदन मंजूर किए जिन्होंने पांच साल की प्रैक्टिस की पात्रता पूरी नहीं की थी . अंसारी के अनुसार, इस प्रकार संस्थान ने दिशानिर्देशों की अवहेलना की है.
इनपुट: भाषा