देश में घरों में नौकरी करने वालों वर्करों के हितों के संरक्षण के लिए सरकार एक राष्ट्रीय नीति तैयार कर रही है जिसमें पूर्णकालिक घरेलू सहायक-सहायिकाओं के लिए न्यूनतम वेतन 9,000 रखने का प्रस्ताव है.
इसके अलावा ऐसी घरेलू नौकरों को 15 दिन का पेड अवकाश, मातृत्व अवकाश और अन्य सामाजिक सुरक्षाएं प्राप्त होंगी. घरेलू सहायक-सहायिकाओं के हितों के संरक्षण के लिए एनडीए सरकार एक राष्ट्रीय नीति तैयार कर रही है जिसमें ये सब बातें शामिल होंगी. इसके अलावा उन्हें सामाजिक सुरक्षा कवर भी मिलेगा. साथ ही यौन शोषण और बंधुआ मजदूरी से बचाव के लिए भी प्रावधान होंगे.
घरेलू श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे को कैबिनेट की मंजूरी के लिए जल्द भेजा जाने वाला है. ऐसे कामगारों को शिक्षा पाने का अधिकार होगा. उन्हें सुरक्षित काम का माहौल उपलब्ध कराया जाएगा और एक शिकायत निपटान प्रणाली होगी. इसमें घरेलू कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए नियोक्ता के अनिवार्य योगदान का भी प्रावधान है.
ऐसे कामगारों को सामूहिक मोलभाव के लिए एक-दूसरे से संपर्क करने का अधिकार होगा. श्रम कल्याण महानिदेशक (डीजीएलडब्ल्यू) ने इस बारे में मसौदा तैयार किया है जिसे श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को पिछले सप्ताह सौंपा गया था.
दत्तात्रेय ने कहा कि घरेलू कामगार नीति तैयार की जा रही है, घरेलू कामगारों का शोषण भी होता है ऐसे में उनका कल्याण और संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी बताया कि इस नीति का मसौदा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मानदंडों के अनुरूप है. भारत ने घरेलू कामगारों के लिए आईएलओ की संधि को स्वीकार किया है.
एक बार यह नीति अस्तित्व में आने के बाद नियोक्ता, कर्मचारी और दोनों को जोड़ने वाली मध्यस्थ एजेंसी के बीच त्रिपक्षीय करार जरूरी होगा, जिसकी कानूनी मान्यता होगी.
-इनपुट भाषा