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Professor Govind Swarup: नहीं रहे फादर ऑफ रेडियो एस्ट्रोनॉमी गोविंद स्‍वरूप, PM मोदी ने जताया दुख

Professor Govind Swarup: नहीं रहे भारतीय खगोलशास्त्री गोविंद स्वरूप. प्रधानमंत्री ने जताया दुखा. जानें- उनके बारे में. रेडियो के क्षेत्र में किए थे ये काम.

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नहीं रहे प्रोफेसर गोविंद स्‍वरूप
नहीं रहे प्रोफेसर गोविंद स्‍वरूप

साल 2020 में कई प्रसिद्ध हस्तियां अलविदा कह चुकी है, अब इनमें एक नाम प्रख्यात वैज्ञानिक गोविंद स्वरूप का भी शामिल हो गया है. दुनिया के मशहूर रेडियो एस्ट्रोनॉमी वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंद स्वरूप का 91 साल की उम्र में सोमवार रात पुणे एक अस्पताल में निधन हो गया है. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है.

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उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'प्रोफेसर गोविंद स्वरूप असाधारण वैज्ञानिक थे. उनके रेडियो खगोलशास्त्र के क्षेत्र में किए गए कार्य ने उन्हें दुनिया में पहचान दिलाई. उनका दुनिया से चले जाना एक बड़ी क्षति है.'

गोविंद स्वरूप रेडियो खगोलशास्त्र (Radio Astronomy) के जाने माने वैज्ञानिक थे. उनका जन्म 23 मार्च 1029 में हुआ था. गोविंद स्‍वरूप ने पुणे के पास दुनिया के सबसे बड़े टेलीस्‍कोप में से एक जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्‍कोप (Giant Metrewave Radio Telescope (GMRT))को स्‍थापित किया था. इसी के साथ उन्होंने ऊटी में एक बड़े रेडियो टेलीस्‍कोप की भी स्‍थापना की थी.  बता दें, गोविंद स्वरूप के नेतृत्व में, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में रेडियो खगोल भौतिकी में एक मजबूत समूह बनाया गया है.


कहां से हुई गोविंद स्वरूप की पढ़ाई

गोविंद स्‍वरूप का जन्‍म  23 मार्च 1929 में उत्तर प्रदेश के ठाकुरवाड़ा में हुआ था. 1950 में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय से एमएससी की डिग्री ली, जिसके बाद स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिट से 1961 में  पीएचडी की डिग्री ली थी. जिसके बाद  1963 में भारत लौटे थे.

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जब गोविंद भारत लौटे, उसके बाद उन्होंने टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) जॉइन किया. उन्हें भारतीय भौतिक विज्ञानी होमी भाभा ने बुलाया था. यहां वह एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर आए थे.

वह 1987 में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्‍कोप (GMRT) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बने, 1993 में TIFR के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (NCRA) के सेंटर डायरेक्टर और 1994 में TIFR से रिटायर हुए थे.

अवॉर्ड

अपने कार्यों के लिए गोविंद स्वरूप 1973 में पद्मश्री से भी सम्मानित हो चुके हैं.  1972 में वह  शांति स्वरप भटनागर अवॉर्ड से सम्मानित हुए थे.

 

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