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होम गार्ड्स की नौकरी नहीं होगी पक्‍की, लेकिन...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के होम गार्ड्स की नियमित करने की मांग तो खारिज कर दी, लेकिन वेतन के मामले में जरूर उनको राहत दी.

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के होम गार्ड्स की नियमित करने की मांग तो खारिज कर दी, लेकिन वेतन के मामले में जरूर उनको राहत दी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि होम गार्ड्स, इमरजेंसी और दूसरी जरूरतों के वक्‍त ड्यूटी पर बुलाए जाते हैं इसलिए उन्‍हें पुलिसकर्मियों की तरह पावर मिलनी चाहिए और राज्‍य सरकार को उन्‍हें पुलिस की तरह ही वेतन देना चाहिए. अदालत ने कहा कि होम गार्ड्स को राज्‍य पुलिसकर्मियों के न्‍यूनतम वेतन के बराबर भत्‍ता मिलना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने होम गार्ड्स को नियमित करने की मांग यह तर्क देकर खारिज कर दी कि उन्‍हें वेतन या भत्‍ते देने का कोई प्रावधान नहीं है. उन्‍हें जरूरत पड़ने पर बुलाया जाता है और उसके बदले भत्‍ता दिया जाता है. कुछ होम गार्ड्स ने 10 से 28 साल तक प्लाटून हवलदार के तौर पर काम करने के अपॉइंटमेंट लेटर पेश किए, लेकिन कोर्ट का मानना है कि नियमित तौर पर उनकी नियुक्ति नहीं हुई थी इसलिए उन्‍हें नियमित नहीं किया जा सकता.

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