आजकल हम पढ़-लिख कर किसी एक चीज की कल्पना करते हैं तो उनमें से अव्वल है एक अदद नौकरी पाना. जाहिर है कि जब नौकरी होगी तो आपको रोज ऑफिस से घर और घर से ऑफिस भी आना-जाना होगा. यदि आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो अपनी गाड़ी से और नहीं हैं तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आवाजाही करनी पड़ती है. इस क्रम में लोग अमूमन दो से तीन घंटे बिताते हैं. आप भी बिताते ही होंगे और यदि नहीं भी बिताते हैं तो आगे बिताने की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में हम आपको कुछ बिन मांगी सलाह दे देते हैं. उम्मीद करते हैं कि सारी सलाह आपके खूब काम आएंगी.
1. कोई बढ़िया सी किताब साथ रखें...
यह सलाह हमें भी किसी बड़े और खास शख्स ने दी थी. हमने इसी क्रम में अब तक अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन किताबें पढ़ी हैं. विश्वास कीजिए किताबें इंसान की सबसे खूबसूरत साथी होती हैं. वो आपसे सवाल नहीं करतीं. ऑफिस में बॉस और कलीग से हुई खिटपिट के बाद किताबें सबसे बड़ी स्ट्रेसबस्टर होती हैं. आप किताबों के पन्ने पलटते जाते हैं और टेंशन सिरे से गायब होता चला जाता है.
2. अखबार साथ रखें...
वैसे तो आज सबके पास स्मार्ट फोन है और उनमें मौजूद हैं नए-नए और ताजातरीन एप्स जो लोगों को हर तरह की खबरों से रू-ब-रू कराते हैं लेकिन अखबार पढ़ने की बात ही कुछ और होती है. आप अखबार के पन्नों को उंगलियों से पलटते हैं. खबरों और लेखों को पढ़ने के बाद दिमाग के घोड़े इधर-उधर दौड़ाते हैं और इसी क्रम में आप आगे चलने वाले डिस्कोर्स के लिए खुद को तैयार कर रहे होते हैं.
3. म्यूजिक का आनंद लें...
म्यूजिक कहने से मेरा तात्पर्य यहां भोजपुरी भाषा और हनी सिंह के गानों के बजाय मोजार्ट और बीथोवेन के मधुर संगीत से है. आप चाहे तो मुकेश, रफी, लता, सुनीधि और लोकगीतों का भी आनंद ले सकते हैं. संगीत जिसे सुन कर आपके शरीर के तार झंकृत हो जाते हैं. संगीत जो आपको अलौकिक शक्तियों से जोड़ने का काम करता है. तो इसीलिए कह रहा हूं कि रास्ते में कुछ करें या न करें आप संगीत जरूर सुनें.
4. सुडोकू और पजल गेम्स खेलें...
ऐसा कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुडोकू और पजल लोगों के दिमाग को तेज करने में महती भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे कई रिसर्च भी सामने आए हैं कि सुडोकू और पजल गेम्स दिमाग को तेज गति से चलाने के लिए सहायक माने जाते हैं. आप अपने क्वालिटी टाइम को बिताने के लिए इस तरकीब का भी फायदा उठा सकते हैं.
5. चाहें तो फिल्में देख लें...
मैं निजी तौर पर ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो ऑफिस आने-जाने के क्रम में लैपटॉप और फोन पर कई फिल्में निबटा देते हैं. इन फिल्मों में जहां कुछ फिल्में विदेशी होती हैं तो वहीं कई हमारे देश की पुरस्कृत और मुख्यधारा से विपरीत मगर सामाजिक यथार्थ को दर्शाती फिल्में भी होती हैं. कई फिल्में आपको ऐसे आईडियाज दे सकती हैं जिन्हें देख कर आप अपनी तकदीर और आस-पास की तस्वीर बदल सकते हैं.
6. घर-परिवार और नात-रिश्तेदारों से बात कर लें...
ऐसा कई बार होता है कि नौकरी के लिए ऑफिस और घर आने-जाने की भागदौड़ में हमें इतना समय नहीं मिल पाता कि हम घर के सारे सदस्यों से बात कर पाएं. ऐसे में कई लोग खफा हो जाते हैं तो वहीं कई बहुत दूर हो जाते हैं. साथ ही आपको फ्यूचर प्लानिंग भी तो इसी दौरान करनी होती है. तो आगे से इस बात का जरूर ख्याल रखें.
इसके अलावा आप लोगों को ऑब्जर्व करना भी शुरू कर सकते हैं. हो सकता है कि पहलेपहल आप इसमें कामयाब न हों लेकिन यदि लगातार कोशिश करते रहेंगे तो आप ह्यूमन बिहेवियर पर एक बेस्टसेलर किताब भी लिख सकते हैं.