ऐसे समय में जब भारत के भीतर कालेधन को लेकर नोटबंदी जारी है. लोगों के दबा कर रखे गए धन की वैल्यू एक झटके से खत्म हो रही है. ठीक उसी समय में गीता की याद आती है कि क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे. अगर इस शब्द का संधि विच्छेद करें तो भगवद का मतलब है भगवान और गीता का मतलब है गीत यानी भगवान का गाया हुआ गीत.
भगवान श्री कृष्ण ने कथित तौर पर आज से हजारों साल पहले ही कम से कम संसाधनों में जिंदगी गुजर-बसर करने के उपाय सुझा दिए थे. यहां हम आपको बताते चलें कि भगवद गीता में कुल 700 संस्कृत छंद, 18 अध्याओं के भीतर निहित हैं. यह 3 वर्गों में विभाजित है और प्रत्येक में 6 अध्याय है. आप भी इन विचारों को आत्मसात करते हुए अपनी जिंदगी खूबसूरत बना सकते हैं.
1. किसी दूसरे के जीवन के साथ पूरी तरह जीने से बेहतर है कि हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अधूरे ही जिएं.
2. एक गिफ्ट (उपहार) तभी असली और पवित्र है जब वह हृदय से किसी व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाए और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल में उस उपहार के बदले कुछ पाने की उम्मीद न रखता हो.
3. ऐसा कोई नहीं जिसे अच्छे कर्मों का फल बुरा मिला हो. चाहे इस दुनिया में हो या फिर और कहीं.
4. अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़संकल्प हैं और जीतोड़ मेहनत करते हैं तो आप हर संकट पर जीत हासिल कर लेंगे.
5. भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती है जिसके मन और आत्मा में सामंजस्य हो. जो इच्छा और क्रोध पर विजय पा ले. जो खुद को सही मायने में जानता हो.
तो इस नोटबंदी के दौर में परेशान न हों. सारी चीजें फिर से अपनी जगह पर आ जाएंगी. इसके अलावा अगर किसी ने अनावश्यक धन दबा कर रखा है तो वह जरूरतमंद लोगों के बीच बांट थे. आखिर क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे. खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएंगे.