भारतीय हॉकी टीम इस बीच लंबे समय से जीत के नजदीक आकर भी जीत नहीं पा रही थी. वे जीत के नजदीक तो पहुंचते मगर फिर उनके हाथों से जीत फिसल-फिसल जाती. चाहे बीते ओलंपिक्स हों या फिर वर्ल्ड कप. जीत उनसे हमेशा रूठी रही लेकिन इस बीच वे फिर से लय में आते दिख रहे हैं. वे एशियन चैंपियनशिप जीत चुके हैं. उन्होंने अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान टीम को धूल चटा दी है. हॉकी कप्तान ने यह जीत उरी आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित की है.
इस पूरी जीत के बीच भारतीय टीम को एक नया हीरो मिला है. उस हीरो का पूरा नाम रुपिंदर पाल सिंह है. वे गगनजीत सिंह के ममेरे भाई हैं. मिडफील्ड में खेलते-खेलते वे ड्रैगफ्लिकर के तौर पर पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना रहे हैं. जानें कि आखिर कौन सी चीजें उन्हें खास बनाती हैं और आप उनसे क्या-क्या सीख सकते हैं...
1. तगड़ी प्रैक्टिस...
वे इंटरनेशनल मुकाबलों के लिए खुद को तैयार कर रहे हों या फिर नहीं. वे प्रैक्टिस कभी मिस नहीं करते. प्रैक्टिस उनके लिए रोज की पूजा की तरह है. शायद यही वजह है कि वे मिडल में खेलते-खेलते दुनिया के सफलतम ड्रैगफ्लिकर बन गए हैं.
2. एक ही चीज लगातार करना...
ड्रैगफ्लिक हॉकी की एक ऐसी विधा है जिसमें शुरुआती शॉट बहुत मिस होते हैं. ऐसे में हताश होने के बजाय कोशिश जारी रखनी होती है. वे भी कुछ ऐसे ही हैं.
3. टीम और कोच से सामंजस्य...
जाहिर है कि हॉकी एक टीम गेम है. आप अकेले दम पर 1 या 2 गोल भले ही कर सकते हैं, मगर जीत तो टीम के अच्छा खेलने पर ही नसीब होती है. इसके अलावा वे कोच या फिर के अपने गुरु की सलाह को हमेशा सरमाथे रखते हैं. उनके ऐसा करने से उनका गेम भी इम्प्रूव हुआ है.
5. सीनियर्स की सलाह मानना...
वे गगन अजीत के भले ही पारिवारिक रिश्तेदार हों लेकिन वे पूर्व में अच्छे खिलाड़ी रह चुके जुगराज सिंह से भी लगातार संपर्क में रहते हैं. जुगराज की सलाह पर ही सीरियसली काम करने का परिणाम है कि आज वे भारत की जीत के हीरो हैं. वे दूसरों के अनुभव और गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ रहे हैं.