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इंडियन हॉकी टीम के नए स्टार रुपिंदर से सीखें सफलता के सबक...

भारतीय हॉकी टीम को पाकिस्तान पर जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रुपिंदर पाल सिंह को आज देश में सभी जानने लगे हैं, मगर आप जानें कि आखिर कौन सी चीजें उन्हें सामान्य से विशेष बनाती हैं और आप उनसे क्या सीखें...

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Rupinder Pal Singh
Rupinder Pal Singh

भारतीय हॉकी टीम इस बीच लंबे समय से जीत के नजदीक आकर भी जीत नहीं पा रही थी. वे जीत के नजदीक तो पहुंचते मगर फिर उनके हाथों से जीत फिसल-फिसल जाती. चाहे बीते ओलंपिक्स हों या फिर वर्ल्ड कप. जीत उनसे हमेशा रूठी रही लेकिन इस बीच वे फिर से लय में आते दिख रहे हैं. वे एशियन चैंपियनशिप जीत चुके हैं. उन्होंने अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान टीम को धूल चटा दी है. हॉकी कप्तान ने यह जीत उरी आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित की है.

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इस पूरी जीत के बीच भारतीय टीम को एक नया हीरो मिला है. उस हीरो का पूरा नाम रुपिंदर पाल सिंह है. वे गगनजीत सिंह के ममेरे भाई हैं. मिडफील्ड में खेलते-खेलते वे ड्रैगफ्लिकर के तौर पर पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना रहे हैं. जानें कि आखिर कौन सी चीजें उन्हें खास बनाती हैं और आप उनसे क्या-क्या सीख सकते हैं...

1. तगड़ी प्रैक्टिस...
वे इंटरनेशनल मुकाबलों के लिए खुद को तैयार कर रहे हों या फिर नहीं. वे प्रैक्टिस कभी मिस नहीं करते. प्रैक्टिस उनके लिए रोज की पूजा की तरह है. शायद यही वजह है कि वे मिडल में खेलते-खेलते दुनिया के सफलतम ड्रैगफ्लिकर बन गए हैं.

2. एक ही चीज लगातार करना...
ड्रैगफ्लिक हॉकी की एक ऐसी विधा है जिसमें शुरुआती शॉट बहुत मिस होते हैं. ऐसे में हताश होने के बजाय कोशिश जारी रखनी होती है. वे भी कुछ ऐसे ही हैं.

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3. टीम और कोच से सामंजस्य...
जाहिर है कि हॉकी एक टीम गेम है. आप अकेले दम पर 1 या 2 गोल भले ही कर सकते हैं, मगर जीत तो टीम के अच्छा खेलने पर ही नसीब होती है. इसके अलावा वे कोच या फिर के अपने गुरु की सलाह को हमेशा सरमाथे रखते हैं. उनके ऐसा करने से उनका गेम भी इम्प्रूव हुआ है.

SEMIFINALS TIME! If you're ready & excited, raise your hands! See you at 3.45 PM. #IndiaKaGame

A photo posted by Rupinder Pal Singh (@rupinderbob3) on


4. हमेशा भविष्य पर नजर...

ऐसा हम सभी के साथ होता है कि हम कई बार आगे की प्लानिंग तो करते हैं मगर आगे चलकर लापरवाह हो जाते हैं. रुपिंदर ऐसा नहीं करते. वे भले ही एशियन ट्रॉफी में जीत गए हों लेकिन उन्होंने अभी से ही साल 2018 के वर्ल्ड कप और 2020 के ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी है.

5. सीनियर्स की सलाह मानना...
वे गगन अजीत के भले ही पारिवारिक रिश्तेदार हों लेकिन वे पूर्व में अच्छे खिलाड़ी रह चुके जुगराज सिंह से भी लगातार संपर्क में रहते हैं. जुगराज की सलाह पर ही सीरियसली काम करने का परिणाम है कि आज वे भारत की जीत के हीरो हैं. वे दूसरों के अनुभव और गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

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