भारत जैसे खेल (क्रिकेट) के दीवाने देश में सचिन और क्रिकेट एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं. यदि भारत में क्रिकेट को धर्म के तौर पर माना जाता है तो सचिन तेंदुलकर को हमारे देशवासी भगवान के रूप में पूजते हैं.
सचिन रमेश तेंदुलकर के क्रिकेट से विदा होने के बाद न जाने कितनों ने भारत में क्रिकेट देखना बंद कर दिया. देश में क्रिकेट के प्रति वह दीवानगी जाती रही. यहां हम आपको बताते चलें कि धीरे-धीरे ही इस दिग्गज को मैदान से विदा हुए 3 साल पूरे हो गए. ऐसे में वे हमारी पूरी पीढ़ी को बहुत कुछ सीखा गए और आज तक सीखा रहे हैं. आप भी उनसे सीखें सफलता के सबक...
1. वे हमेशा एक जैसे बने रहे...
क्रिकेट को नजदीक से देखने वालों को सचिन का पहले मैच के साथ ही उनका अंतिम मैच भी याद है. मुंबई की गलियों से निकल कर दुनिया के सबसे बेहतरीन और खतरनाक पिचों पर बेहिचक खेलना और रन बटोरना कोई मजाक तो था नहीं.
2. हमेशा पूरे देश की उम्मीदों को ढोना...
यहां हम अपने परिवार के लोगों और नजदीकी दोस्तों के उम्मीदों को ही पूरा करने में धराशायी हो जाते हैं. वहीं सचिन के ऊपर पूरे देश की नजरें रहती थीं. वे मैदान में उतरते थे और पूरा मैदान सचिन-सचिन के नारों से गूंजने लगता था. वैसे नजारे अब कभी नहीं दिखेंगे.
3. हमेशा अपने बल्ले से जवाब देना...
सचिन का क्रिकेट करियर न जाने कितने झंझावतों से होकर गुजरा. कभी ऊटपटांग लगने वाले आरोप तो कई बार भारी मेडिकल दिक्कतें. वे हर बार उबर कर बाहर आए और हमें विश्वास दिलाया कि कुछ भी संभव है.
4. वे हमेशा अपने रिकॉर्ड को बेहतर करने के लिए खेले...
कहते हैं कि सचिन जैसे खिलाड़ी सदियों में पैदा होते हैं. उनका कंपटीशन पूरी दुनिया के खिलाड़ियों के बजाय हमेशा खुद से रहा. लोग हमेशा उन्हें उनके ही रिकर्ड से कंपेयर करते.
5. विवादों से दूर एक पारिवारिक इंसान...
सचिन ने एक ऐसे खेल को अपना करियर बनाया जो हमेशा से ही विवादों का केन्द्र रहा लेकिन वे कालिख की कोठरी से भी बेदाग निकल आए. आज उनकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है. इसके अलावा उनका हमेशा कमबैक करना कोई मामूली बात तो नहीं ही है.
मैथ्यू हेडेन जैसे धाकड़ ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ने सचिन पर कहा था कि, उन्होंने भगवान को बैटिंग करते देखा है. वे भारत के लिए चौथे नंबर पर खेलते हैं. हम उनके इस स्टेटमेंट पर सिवाय सहमत होने के और कुछ नहीं चाहते.