पिछले दिनों प्रमोशन में आरक्षण संबंधी याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने शनिवार को यह फैसला सुनाया. अदालत ने वर्ष 2002 के बाद के सभी प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर दिया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'नियुक्तियों के दौरान समाज के पिछड़े और वंचित वर्ग को नियमानुसार आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन प्रमोशन में आरक्षण गलत है. इसकी वजह से वास्तविक योग्यता वालों में कुंठा घर कर जाती है.'
वहीं हाईकोर्ट ने सिविल सर्विसेज प्रमोशन रूल 2002 को भी खारिज कर दिया है. इस नियम के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति को प्रमोशन में 36 फीसदी तक आरक्षण दिया जाता है.
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के करीब 20 हजार से अधिक कर्मचारियों पर असर पड़ेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उनकी सरकार शासकीय सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण की पक्षधर है. उन्होंने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण खत्त करने के संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा जो निर्णय दिया गया है, उसके विरुद्ध राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी.