भारत के सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओ में से अव्वल हैं UPSC द्वारा कंडक्ट कराए जाने वाली सिविल सर्विसेस परीक्षाएं. इसकी तैयारी करने और इनमें सफल होने वाले स्टूडेंट अपनी रातों की नींद और दिन के चैन से समझौते करते हुए सफलता की देहरी चूमते हैं. ऐसे में इस बात की अहमियत बढ़ जाती है कि कोई क्या पढ़ता है, कहां पढ़ता है और कौन सी भाषा पर पकड़ बनाए रखता है. इसी के मद्देनजर हम खास आप सभी के लिए UPSC की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स और प्रतिभागियों के आंकड़े लाए हैं. इन आंकड़ों को देख कर आप अपनी तैयारी को इस दिशा में मोड़ सकते हैं और अपेक्षित रिजल्ट हासिल कर सकते हैं.
दिल्ली में होने के फायदे...
दिल्ली यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा अधिकारियों को IAS अकादमी भेजती है. हर 10 में से 1 IAS प्रोबेशनरी ऑफिसर दिल्ली यूनिवर्सिटी का छात्र होता है. मसूरी पहुंचने वाले प्रोबेशनरी ऑफिसरों में दिल्ली की हिस्सेदारी 23 फीसद है.
शीर्ष पांच संस्थान व यूनिवर्सिटी...
दिल्ली यूनिवर्सिटी
कुल दावेदार- 211
चुने गए- 95
अन्ना यूनिवर्सिटी
कुल दावेदार- 128
चुने गए- 46
सावित्रीबाई फूले
कुल दावेदार- 105
चुने गए- 43
IIT कानपुर
कुल दावेदार- 69
चुने गए- 32
IIT दिल्ली
कुल दावेदार- 91
चुने गए- 32
विदेश से पढ़ने के भी हैं फायदे...
विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ने पर IAS बनने के चांस में इजाफा हो जाता है.
अमेरिका से कुल दावेदार- 18
सफल- 11
ब्रिटेन (ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और डरहम)- 10
सफल- 7
स्विट्जरलैंड- 2
सफल- 2
जर्मनी- 2
सफल- 2
डॉक्टरों की यहां कम चलती है...
अब आंकड़े तो ऐसी ही गवाही देते हैं. इंटरव्यू देने वाले दावेदारों में डॉक्टरों की तादाद काफी होती है लेकिन वे फाइनल रिजल्ट तक कम पहुंच पाते हैं.
मेडिकल बैकग्राउंड- कुल 1481
सफल- 1295
इंजीनियरिंग- 427
सफल- 396
साइंटिफिक और टेक्निकल- 330
सफल- 319
नॉन टेक्निकल- 306
सफल- 293
इंजीनियरिंग का बोलबाला
साल 2013-14 में सफल उम्मीदवारों पर एक नजर डालें तो इंजीनियरों की कामयाबी दर में सबसे अधिक सुधार हुआ है.
साल 2012-13 में अनुपात - साल 2013-14 में अनुपात
इंजीनियर- 0.79 - 0.93
मेडिकल- 0.75 - 0.87
साइंटिफिक और टेक्निकल- 0.92 - 0.97
नॉन टेक्निकल- 0.97 -0.96
सभी पद- 0.87 -0.91
अंग्रेजी को मिलती है वरीयता...
हम हिन्दी या फिर तमाम क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर चाहे जितना शोर मचाते हों लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
10 में से 9 दावेदार पर्सनैलिटी टेस्ट में अंग्रेजी बोलने को तरजीह देते हैं.
कुल 3001 दावेदारों में से 2672 ने अंग्रेजी चुनी. वहीं 329 दावेदारों ने क्षेत्रीय भाषाओं को चुना.
हिंदी- 222, मराठी- 46, गुजराती-32, तमिल-8, पंजाबी-7, मलयालम-6, कन्नड़-3, तेलगु-2, बंगाली-1, उर्दू-1, मैथिली-1.
पुरुषों की तुलना महिलाएं ज्यादा सफल...
अगर आंकड़ों के आईनों से देखें तो महिलाएं जहां दूसरे प्रयास में सफलता की देहरी चूमती हैं वहीं पुरुषों को ऐसा करने में तीन प्रयास लग जाते हैं.
सौजन्य- Newsflicks