महंगाई की मार से बेहाल आम आदमी को नरेंद्र मोदी सरकार की पुचकार मिली है. मंगलवार को सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है. जबकि स्टेट बैंक के बाद एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक ने भी आम जन के लिए घर कर्ज सस्ता कर दिया है.
एक करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मियों और पेंशनभोगियों को महंगाई की मार से राहत देते हुए नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल ने महंगाई भत्ता (डीए) छह फीसदी बढ़ाकर उनके मूल वेतन का 113 फीसदी कर दिया. यह 1 जनवरी 2015 से प्रभावी माना जाएगा. इस निर्णय से 48 लाख सरकारी कर्मचारी और 55 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे.
बताया जाता है कि सरकार के इस फैसले से चालू वित्त वर्ष में सरकारी खजाने पर 7,889.34 करोड़ रुपये का बोझ आएगा. एक आधिकारिक बयान बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में महंगाई भत्ता बढ़ाने का निर्णय किया गया. बयान में कहा गया, 'केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी मूल वेतन के 113 फीसदी की दर पर महंगाई भत्ता, महंगाई राहत (डीआर) पाने के हकदार होंगे. यह एक जनवरी 2015 से प्रभावी माना जाएगा.' यह वृद्धि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित स्वीकृत फार्मूले के मुताबिक है.
सरकारी बयान में कहा गया कि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के चलते सरकारी खजाने पर सालाना 6,762.24 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और 2015-16 में यह 7,889.34 करोड़ रुपये होगा (14 माह के लिए).' इससे पहले, महंगाई भत्ता पिछले साल सितंबर में बढ़ाकर मूल वेतन का 107 फीसदी किया गया था.
रीयल एस्टेट विधेयक में संसोधन के प्रस्ताव को मंजूरी
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रीयल एस्टेट विधेयक-2013 में संशोधन किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, विधेयक राज्यसभा में लंबित है, इसमें संशोधनों को अब जोड़ा जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि रीयल एस्टेट और आवासीय क्षेत्र अभी लगभग अनियमित हैं. उपभोक्ताओं को आम तौर पर पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है और बिल्डरों की विशेष जवाबदेह नहीं है.
आरबीआई गवर्नर की बैंकों को फटकार
दूसरी ओर, रिजर्व बैंक ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक की प्रथम द्वैमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में अपनी नीतिगत दर को वर्तमान स्तर पर बनाए रखा. आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने जनवरी से दो बार में रेपो दर में कटौती के बाद भी उसका लाभ कर्ज लेने वालों को नहीं देने को लेकर बैंकों के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया.
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में बैंक प्रमुखों ने कहा, 'अप्रैल और जून के बीच हम जमाओं के मामले में ब्याज दरों में बदलाव देख रहे हैं, जिससे कोष की लागत कम हो सकती है और इससे हमें कर्ज पर ब्याज दर कम करने में मदद मिल सकती है.' बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती का फायदा नहीं दिए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि यह धारणा बकवास है कि बैंकों के धन की लागत कम नहीं हुई है.
'रेपो दर एकमात्र कारक नहीं'
राजन ने बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव भी बनाया. राजन के कड़े बयान के बारे में पूछे जाने पर भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरूंधती भट्टाचार्य ने कहा, 'आपको दोनों रास्ते समझने हैं, चीजों को आगे बढ़ने में समय लगता है.' उन्होंने कहा, 'यह केवल जमा की लागत नहीं है, जो इसे निर्धारित करती है, नकदी की राशि, ऋण की मांग और प्रतिस्पर्धा से भी दरें ऊपर-नीचे होती हैं. रेपो दर एकमात्र कारक नहीं है बल्कि अन्य तत्व भी हैं.'
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी और चार मार्च को रेपो दर में 0.25-0.25 फीसदी की कटौती की. इसके बाद केवल दोनों बैंक यूनाइटेड बैंक और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर ने ब्याज दरें कम की हैं.
-इनपुट भाषा