इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेडिकल, एमबीए, लॉ ग्रेजुएट्स अब मोटी सैलरी वाली प्राइवेट नौकरी की तरफ न दौड़कर सिविल सर्विस में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक फिलहाल पुलिस सर्विस में 40 फीसदी ऐसे ऑफिसर हैं जिनका कुल अनुभव 10 साल से कम है. इन युवा आईपीएस ऑफिसर में से अधिकतर ऐसे हैं जिनके पास इंजीनियरिंग, मेडिकल और एमबीए की डिग्री है. आपको बता दें कि साल 2011, 2012, 2013 के आईपीएस बैच के 70 फीसदी ऑफिसर या तो इंजीनियर, डॉक्टर या फिर एमबीए हैं.
आईपीएस बैच के ये नए ऑफिसर बरसों पुरानी व्यवस्था की टेक्नोलॉजी की समस्याओं के समाधान में तो मदद कर ही रहे हैं, साथ ही जिन सेक्टरों पर ध्यान नई दिया जा रहा उन्हें भी अपने नए आइडियाज से आगे लेकर आ रहे हैं.
इन ऑफिसरों ने अपने-अपने जिलों में व्यवस्था में सुधार के लिए काफी अच्छे कदम उठाए हैं. इनकी इन कोशिशों के अच्छे नतीजे सामने आए हैं. यही वजह है कि इन पुलिस ऑफिसरों के उठाए गए कदमों को मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है और इन्हें ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने अपने स्मार्ट पुलिसिंग प्रोग्राम में शामिल किया है.
यही नहीं पुलिस और पब्लिक में बेहतर संवाद के लिए आईआईटी दिल्ली से पास हुए और 2005 बैच के आईपीएस ऑफिसर अभिषेक गोयल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने पुलिस से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा. फिलहाल इनके फेसबुक पेज के 6 लाख फॉलोवर्स हैं.
यही नहीं कर्नाटक में एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया गया है जो खोए हुए वाहनों को तुरंत खोज भी सकता है और उसके मालिक का भी पता लगा सकता है.यह सभी पुलिस स्टेशनों से डिजिटली जुड़ा हुआ है.