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ट्रॉली रिक्शा खींचने वाले का बेटा बनेगा डॉक्टर, ऐसे NEET एग्जाम पास कर बने मिसाल

ओडिशा के 18 ऐसे गरीब बच्चों ने नीट एग्जाम निकाला है जिनके परिवार में पिता दूध विक्रेता, रिक्शा चालक या बुनकर हैं. जा‍निए उनकी सक्सेस स्टोरी...

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रिक्शा चालक के बेटे ने निकाला नीट (aajtak.in)
रिक्शा चालक के बेटे ने निकाला नीट (aajtak.in)

NEET Exam: ओड‍िशा में ट्रॉली रिक्शा चालक के बेटे ने इस साल NEET क्रैक करके साबित कर दिया है, कठ‍िन तपस्या से इंसान अपनी तकदीर खुद बदल सकता है. अब डॉक्टर बनकर अपनी और अपने परिवार की क‍िस्मत बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उनकी ही तरह ओडिशा के 18 ऐसे गरीब बच्चों ने नीट एग्जाम निकाला है जिनके परिवार में पिता दूध विक्रेता, रिक्शा चालक या बुनकर हैं. 

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राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वही बनेगा जो हकदार होगा. बॉलीवुड की काल्पनिक कहानी पर आधारित फिल्म सुपर-30 का यह डायलॉग को ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित गैर-सरकारी जिंदगी फाउंडेशन नामक शिक्षा संस्थान ने सच कर दिखाया है. जिंदगी फाउंडेशन के 18 विद्यार्थियों ने NEET UG-2021 की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त की है. 

इन सबका परिवार आजीविका के लिए मजदूरी करता है. इन सभी विद्यार्थियों के बीच कोई भूमिहीन किसान का बेटा, दूध विक्रेता, रिक्शा चालक तो कोई बुनकर की बेटी है. भद्रक के काजी महल में पिछले चार साल से ट्रॉली रिक्शा चालक मैराज खान इस पल का इंतजार कर रहे थे. यह तब हुआ जब उनके बेटे मुर्सीद खान ने अंततः चिकित्सा में उच्च अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) को क्रैक किया. 

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मुर्शीद ने नीट में अखिल भारतीय रैंक 15,239 हासिल की, जिसका परिणाम सोमवार को घोषित किया गया, यह उनका चौथा प्रयास था. वो प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा को पास करने वाले अपने इलाके के पहले छात्र बन गए हैं. राजधानी भुवनेश्वर में स्थित जिंदगी फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट ने इन सभी छात्रों की पढ़ाई में मदद की है जिसे शिक्षाविद अजय बहादुर सिंह द्वारा संचालित किया जाता है. यह ट्रस्ट ओडिशा के प्रतिभाशाली वंचित छात्रों का परीक्षा द्वारा चयन करता है जिसके बाद उन्हें मुफ्त भोजन, आवास और कोचिंग की सुविधा प्रदान करता है. इस ट्रस्ट का मकसद समाज के वंचित तबके के छात्रों को डॉक्टर बनने का ख्वाब को पूरा करना है. 

अपने परिवार के साथ मुर्शीद
अपने परिवार के साथ मुर्शीद

जिंदगी फाउंडेशन का विद्यार्थी NEET की प्रवेश परीक्षा में मुर्शिद खान ने 610 अंक प्राप्त किया है. खान एक गरीब घर का बेटा है और उसके अब्बू रिक्शा चलाकर आजीविका को पूरा करते हैं. साथ ही एक दूध विक्रेता के बेटे सुभाष चंद्र बेहरा ने परीक्षा में 595 अंक प्राप्त किए है. 

वहीं, संस्थान की छात्रा शिवानी मेहर ने NEET की प्रवेश परीक्षा में 577 अंक प्राप्त किए हैं. शिवानी के पिता गांव में परिवार को चलाने के लिए बुनकर का कार्य करते थे. शिवानी ने कहा कि मैं अपने माता-पिता की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए डॉक्टर बनने का सपना नहीं देख सकती थी. अजय सर की वजह से मुझे मेरे सपनों को पूरा करने का मौका मिला है. 
जिंदगी फाउंडेशन के संस्थापक अजय सिंह ने आजतक से बताया कि इस कोविड-19 महामारी के कारण ज्यादातर समय शारीरिक कक्षाएं आयोजित करना मुश्किल था. हालांकि कोविड के दौरान हमने विद्यार्थियों के हौसले को कम नहीं होने दिया. हमने उन लोगों के लिए स्मार्ट फोन की व्यवस्था की. साथ ही विद्यार्थियों के लिए संस्थान के विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन क्लास की सुविधा प्रदान की गई. 

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बता दें कि जिंदगी फाउंडेशन नाम के इस एनजीओ की शुरुआत वर्ष 2017 में अजय बहादुर सिंह ने ही किया था, जो कि मेडिकल की महंगी शिक्षा की पढ़ाई आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से सम्बन्धित होने के कारण नहीं कर पाए थे.  2018 में जिंदगी फाउंडेशन के 18 विद्यार्थियों ने NEET की परीक्षा में सफलता प्राप्त की. वहीं 2019 में 14 विद्यार्थियों ने और 2020 में 19 विद्यार्थियों ने NEET की प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की थी. 

मुर्शिद के पिता मैराज खान ने आजतक से कहा कि मेरे बेटे को डॉक्टर बनाने का हमारा सपना 2007 में मेरे एक्सीडेंट के बाद टूट गया, जिसके बाद मेरा बड़ा बेटा अपने भाई को डॉक्टर बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है. हम अजय बहादुर सिंह को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने उन्हें डॉक्टर बनाने में हर तरह से मदद की, उनकी मदद के बिना मेरा बेटा यह सफलता हासिल नहीं कर पाता और हमारे सपनों को पूरा नहीं कर पाता. 

मुर्शिद ने बताया कि मैं एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता हूं, मेरे परिवार ने हमेशा मुझे डॉक्टर बनाने का सपना देखा. मैंने जिंदगी फाउंडेशन के बिना गांव ओड़ी माध्यम स्कूल में पढ़ाई की है और अजय बहादुर सिंह सर की मदद से मैं यह उपलब्धि हासिल नहीं कर पाऊंगा.

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