रावण इतना पराक्रमी और ज्ञानी था कि उसे मारने के लिए खुद भगवान को अवतार लेना पड़ा. दरअसल उसने अपने ज्ञान काे गलत दिशा दी और वह मारा गया. पर उसके जीवन से कुछ अच्छी बातों को ग्रहण किया जा सकता है. पेश हैं रावण की ऐसी ही 5 आदतें...
1. जो करो उसमें अपना 100 प्रतिशत दो
रावण जो करता था पूरी तल्लीनता और श्रद्धा से करता था. उदाहरण के लिए शिव भक्ति. वह भगवान शिव के महान भक्तों में से एक माना जाता है. उसने शिव के तांडव पर शिव तांडव स्त्रोत लिखा था. उसे पढ़कर कोई भी यह जान सकता है कि वह महान कवि था. वह प्रतिदिन अभिषेक के साथ भगवान शिव की पूजा करता था. एक बार तो उसने पूरा कैलाश पर्वत ही अपने सर पर उठा लिया था.
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2. खुद पर यकीन
रावण यह अच्छे से जानता था कि उसकी क्या शक्तियां और क्या खामियां हैं. जब युद्ध हुआ और उसमें उसका भाई कुंभकरण और बेटा मेघनाथ मारा गया, तो भी उसने अपनी शक्तियों पर यकीन किया और युद्ध में टिका रहा.
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3. रिश्तों को अहमियत
सभी को पता है कि राम-रावण युद्ध के पीछे शूर्पणखा की नाक कटना था. अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए ही रावण ने सीता हरण किया. हालांकि उसने गलत रास्ता इख्तयार किया पर रिश्तों के लिए रावण हर समय आगे रहता था.
4. शुभस्य शीघ्रम
जब रावण मरने वाला था तब भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा था कि वह रावण से जाकर कुछ बातें सीखें. तब रावण ने लक्ष्मण से कहा था हमेशा यह याद रखें कि 'शुभस्य शीघ्रम' यानी अच्छा काम करने में देरी नहीं करनी चाहिए और बुरा काम करने में जितना हो सके, बचना चाहिए.
5. किसी को ना बताएं अपने राज
रावण ने लक्ष्मण को समझाया था कि कभी अपने राज दूसरों से शेयर नहीं करने चाहिए. उसने ऐसा करके गलती की थी. रावण की मृत्यु का राज विभीषण को पता था और वही उसके अंत का कारण बना. रावण इसे अपने जीवन की बड़ी गलतियों में से एक मानता था.