UP VDO Exam 2023: उत्तर प्रदेश में 5 साल बाद आयोजित हुई ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सॉल्वर गैंग की सेंधमारी उजागर हुई है. STF ने लखनऊ, बरेली, कानपुर और गोरखपुर से कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. लखनऊ से पकड़े गए गैंग का सरगना जौनपुर में तैनात एक लेखपाल था जिसे एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है. वहीं, बरेली से पकड़े गए दूसरे गैंग का सरगना बिहार से सॉल्वर को परीक्षा में बैठा कर गड़बड़ी कर रहा था.
साल 2018 में गलत पेपर बांटने और सॉल्वर गैंग की सेंधमारी के चलते निरस्त हुई ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा 5 साल बाद उत्तर प्रदेश के 20 जिलों के 737 सेंटर पर आयोजित की गई. सोमवार को ग्राम पंचायत अधिकारी ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक के लिए हो रही इस लिखित परीक्षा में भी सोमवार गैंग पकड़े गए. यूपी एसटीएफ ने लखनऊ और बरेली से दो अलग-अलग गैंग दबोचे हैं.
ब्लूटुथ डिवाइस से हो रही थी नकल
यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के मदेगंज, गोमती नगर विस्तार और गाजीपुर से जिन 4 लोगों को गिरफ्तार किया उनका सरगना जौनपुर में तैनात लेखपाल कमलेश कुमार यादव था. एसटीएफ ने कमलेश कुमार यादव को भी गोमती नगर विस्तार से गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि कमलेश यादव ने ही लखनऊ के गाजीपुर से पकड़े गए परीक्षार्थी मनोज यादव और कमलेश यादव के अलावा मदेगंज से पकड़े गए राहुल यादव को ब्लूटूथ कनेक्टेड एक डिवाइस दी थी. इसे परीक्षार्थियों ने अपने कान में अंदर डाला था और दूसरी तरफ सॉल्वर बैठकर प्रश्न पत्र हल करवा रहे थे.
लेखपाल कमलेश यादव ने इस काम के लिए राहुल यादव से 8 लाख और गाजीपुर से पकड़े गए मनोज यादव से 12 लाख रुपये में परीक्षा पास कराने की बात तय की थी. बतौर एडवांस 50,000 दोनों परीक्षार्थियों से लिए थे. एडवांस की रकम से लेखपाल कमलेश यादव ने परीक्षार्थियों को एक ब्लूटूथ डिवाइस दिया था जिसे परीक्षार्थियों ने अपने कान में लगाया और जो दूसरी तरफ सॉल्वर से कनेक्ट था. परीक्षार्थी बोलकर सवाल पढ़ता तो दूसरी तरफ से सॉल्वर उसका जवाब कान में बता देता.
8 लाख तय हुआ था रेट
ठीक इसी तरह यूपी एसटीएफ ने कानपुर के नौबस्ता इलाके से सत्यम तिवारी को गिरफ्तार किया है. परीक्षा हॉल से गिरफ्तार सत्यम तिवारी ने कान के अंदर ब्लूटूथ डिवाइस लगाया था. इसे यूपी एसटीएफ ने क्लिप के जरिए बाहर निकाला। एसटीएफ ने पूछताछ की तो पता चला यह ब्लूटूथ डिवाइस सत्यम तिवारी को दूसरे परीक्षार्थी प्रहलाद पाल ने दी थी और परीक्षा पास कराने पर 8 लाख देने थे. ब्लूटूथ डिवाइस की दूसरी तरफ प्रहलाद पाल खुद था जो पास के ही एक लॉज में रुक कर सत्यम को सवालों के जवाब बता रहा था. सत्यम तिवारी की गिरफ्तारी के बाद प्रहलाद पाल लॉज से फरार हो गया.
यूपी एसटीएफ ने जो दूसरा सॉल्वर गैंग दबोचा वह बरेली का था. एसटीएफ ने बरेली के हाफिजगंज थाना क्षेत्र से सरगना नाजिम, 2 सॉल्वर, 2 परीक्षार्थी 1 मददगार और इस गैंग के लिए काम करने वाले ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया है. पूछताछ में गैंग सरगना नाजिम ने कुबूला कि 2018 में हुई इसी पद की परीक्षा में वह बिहार से सॉल्वर लाया था और फोटो मिक्सिंग के जरिए परीक्षार्थियों की जगह सॉल्वर बैठे थे. इस बार भी परीक्षा में बिहार से बुलवाए गए सॉल्वर्स को परीक्षा में बैठाया था जिन्हें यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है.
कानपुर लखनऊ बरेली के साथ-साथ एसटीएफ ने गोरखपुर से एक परीक्षार्थी दीपांशु वर्मा और उसके साथी को गिरफ्तार किया है. दीपांशु वर्मा ने 2018 में ग्राम विकास अधिकारी के लिए परीक्षा दी थी. इस बार खुद सॉल्वर बनकर परीक्षा दे रहा था जिसे यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है.
कौन थे परीक्षा हल करने वाले सॉल्वर
सबसे अहम बात है कि परीक्षा में बतौर सॉल्वर बैठ रहे लड़के प्रयागराज, लखनऊ जैसे बड़े शहरों से हैं. यह सालो से UPSC या अन्य बड़ी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और जिन्होंने कुछ पैसे जल्द कमाने के लिए सॉल्वर बनकर परीक्षा दी. गैंग सरगना को तो परिक्षार्थियों से लाखों रुपए मिलने वाले थे लेकिन परीक्षा में बैठ रहे इन नौजवानों को चंद रुपये ही परीक्षा पास करने के बाद मिलते थे.