फैशन की दुनिया में पहचान बनना चाहते हैं तो किसी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करने के साथ हमारे एक्पर्ट की दी हुई इन एडवाइज का भी खास ख्याल रखें. ये एडवाइज आपको फैशन की दुनिया में नया मुकाम देंगी.
बदलतेे ट्रेंड को पहचानें:
ट्रेंड तेजी से बदलते हैं. इसलिए अगर आप अपने काम में सजग नहीं है और बाजार पर बराबर नजर नहीं बनाए हुए हैं तो जल्दी ही पाएंगे कि आप इस खेल से बाहर हो चुके हैं. इसलिए जरूरी है कि आप सबसे पहले बाजार को जानें और फिर ग्राहक को. अपने क्षेत्र में होने वाले तकनीकी प्रगति से भी अच्छी तरह
वाकिफ रहें.
साथ ही उसके अंदर इन रुझानों का विश्लेषण करने की क्षमता भी होनी चाहिए. आज जो फैशन चलन में छाया हुआ है, जरूरी नहीं कि वह कल भी स्टोरों में कायम रहे. और बड़ी बात यह है कि आजकल बाजार की मांग धीरे-धीरे नहीं बदलती है, वह एकाएक गायब हो जाती है. अगर एक दिन स्ट्राइप चलन में हैं तो हो सकता है अगले दिन कलर नियॉन का फैशन चल निकले और अगले हफ्ते न्यूड स्वेटर फैशन में आ जाएं. इसी तरह कुछ ही समय में लेदर पैंटों की मांग शुरू हो जाती है.
आपको हर समय इस प्रगति के हिसाब से खुद को अपडेट रखने की जरूरत है कि पारंपरिक तकनीक और तरीकों में किस तरह दिनोदिन बदलाव आ रहा है. बहुत से स्टूडेंट यह मान लेने की गलती करते हैं कि फैंटेसी या कल्पनाओं को साकार रूप देना ही फैशन है. उन्हें समझना चाहिए यह एक उद्योग है और हर उद्योग की तरह इसमें भी उद्योग का रिसर्च और खिलाडिय़ों तथा इससे जुड़े अन्य लोगों के बारे में गहराई से जानकारी रखना जरूरी है.
कड़ी मेहनत जरूरी:
फैशन उद्योग में विशिष्ट और साधारण होने के बीच सबसे बड़ा फर्क है नकल या किसी के कहने के अनुसार काम करना. अगर आप अपना काम किसी दूसरे के कहने के अनुसार करेंगे, किसी डिजाइन की नकल करेंगे और खुद सोचना बंद कर देंगे तो आपके काम को हजारों दूसरे कलाकारों के काम से अलग कैसे किया जा सकता है, यानी आपका काम बाकियों जैसा ही नजर आएगा. एक सफल उद्यमी होने की योग्यता का मतलब है कि आप पहले से बनी-बनाई सीमा से बाहर निकलें और कॉर्पोरेट के आदेशों पर आंखें मूंदकर न चलें.
खुद पर रखें भरोसा:
चाहे निजी उद्यम शुरू करना हो या कॉलेज में किसी प्रोजेक्ट पर काम करना हो, डिजाइनरों को अपने काम में पर्याप्त आत्मविश्वास रखना चाहिए और जरूरत पड़े तो उस काम को लोगों के सामने रखने की हिम्मत दिखानी चाहिए. जोखिम उठाने का साहस दिखाना एक अंदरूनी गुण है, जिसके बारे में सिर्फ बात ही की जा सकती है, लेकिन उसे फैशन स्कूल में कभी सिखाया नहीं जा सकता है.
जोखिम लेने से पीछे न रहें:
अंतत: यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी दूर जाने या जोखिम उठाने की हिम्मत दिखा पाते हैं और अपना मकसद पूरा करने के लिए कितनी दृढ़ इच्छा शक्ति रखते हैं. फैशन उद्योग में कदम रख रहे युवा डिजाइनरों को पहला रैंप वॉक हासिल करने या सेलेब्रिटी क्लाइंट के लिए काम करते वक्त कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. कारोबार के लिए पूंजी की व्यवस्था करना और उद्योग की राजनीति से निबटना पहली बार में मुश्किल लग सकता है, पर याद रखें कि यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कई बेहतरीन डिजाइनर खुद भी ऐसा अनुभव कर चुके हैं. अपनी सीमाओं में रहकर काम करना ठीक है, कभी-कभी अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने से कतई न डरें.
मार्केट रिसर्च में समय खर्च करें:
अगर आप सोचते हैं कि डिजाइनर अपनी ही दुनिया में सिमटकर सफल हो सकते हैं और उन्हें अखबार पढऩे या शाम को टेलीविजन पर खबर देखने की कोई जरूरत नहीं है तो आप गलत हैं. हर डिजाइनर के लिए यह जरूरी है कि वह बाजार में चल रहे रुझानों, उसकी अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक ट्रेंड तथा राजनैतिक परिदृश्य से अच्छी तरह परिचित रहे. हर सफल डिजाइनर को देशी और विदेशी बाजार की हलचल और रुझान से वाकिफ होना चाहिए.
अपने रोजमर्रा के काम से प्यार करें:
आपको अपने काम से प्यार होना चाहिए तभी आप यह उम्मीद कर सकते हैं कि दूसरा शख्स आपके काम को पसंद करेगा. आपके काम में कुछ चौंकाने वाली या हतप्रभ करने वाली बात होनी चाहिए वरना आपका काम बाकियों की तरह साधारण परिधान बनकर रह जाएगा. उसमें कुछ भी नया आकर्षण नहीं होगा. यह चौंकाने वाली बात तभी आती है जब आप जो कुछ कर रहे हैं वह आपको भी मोह ले और पूरे दिल से उसे तैयार करें. आपको अपने काम की क्वालिटी के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहिए.
सर्वोत्तम से लें सबक:
फैशन के स्टूडेंट आम तौर पर यह गलती करते हैं कि वे खुद को समय से पहले ही परिपक्व और सबसे ज्यादा जानकार समझने लगते हैं जबकि वे यथार्थवादी बनकर इस भ्रम से आसानी से दूर रह सकते हैं. अगर आप इस उद्योग में पांच साल से कम समय से हैं तो आपके लिए अच्छा होगा कि आप अपना अहं अपने काबू में रखें और अपने सीनियर लोगों की सलाह को ध्यान से सुनें. आत्मविश्वास अच्छी बात है लेकिन अति-आत्मविश्वास खतरनाक होता है जो स्वयं का ही नुक्सान करता है और करियर के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.
डिग्री के अनुभव भी बढ़ाएं:
फैशन स्कूल से पढ़ाई कर लेने का मतलब यह नहीं है कि अब आपको कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है. उलटे यह सीखने की शुरुआत है. दूसरे के अनुभवों से सीखना बहुत जरूरी है खासकर शुरुआत के कुछ वर्षों में. आपको सीनियर डिजाइनरों कारीगरों और शिल्पकारों के पास जाकर हमेशा कुछ न कुछ सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए. आपको मालूम करना चाहिए कि सफल लोगों ने सफलता कैसे हासिल की और अपना काम शुरू करने की राह में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे किया. आपको अपने अंदर सुनने और अपने से सीनियर लोगों के काम को गौर से देखने का गुण पैदा करना चाहिए. आप उनके अनुभवों का फायदा उठाकर आगे बढ़ सकते हैं.
मटीरियल को जानें:
लेदर, लेस, फर, कॉटन या सिल्क. फैशन के स्टूडेंट अक्सर एक पूरा सेमेस्टर विभिन्न तरह के कपड़ों की पहचान करने में ही निकाल देते हैं. अगर वे यह सीख भी जाएं कि फलां कपड़ा किस तरह का है और उसे पहचानने में कोई गलती न करें लेकिन वे यह नहीं बता पाएंगे कि यह कपड़ा कहां से आता है और और इसे बनाता कौन है. बाजार में उपलब्ध अलग-अलग तरह के कपड़ों और फैशन से संबंधित जरूरी सामग्री की पहचान करना ही काफी नहीं है. स्टूडेंट्स को यह भी मालूम होना चाहिए कि उसे बनाने की प्रक्रिया क्या है और उसका उत्पादन कैसे होता है.
कपड़ों के बारे में गहराई से जानने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसके पूरे सफर के बारे में जानकारी जुटाई जाए प्रैक्टिकल अनुभव बहुत काम आता है. आलसी और अपने काम में कम रुचि रखने वाले स्टूडेंट ही हर तरह की सतही जानकारी हासिल करने के लिए विकीपीडिया या गूगल पर निर्भर होते हैं. यह जानकर कि आप जिस सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं वह कहां से आती है और इसका क्या इस्तेमाल हो सकता है, आप उन साथी स्टूडेंट्स के मुकाबले ज्यादा दक्ष बन सकते हैं जो कपड़ों और अन्य सामग्री के स्रोत और उसकी उत्पत्ति के बारे में अंजान होते हैं.
कपड़ों और दूसरी जरूरी सामग्री के बारे में गहराई से जानकारी रखने से न सिर्फ आप अपने डिजाइन के लिए सही कपड़े और सामग्री का चुनाव कर सकते हैं बल्कि आप उसके इतिहास और सांस्कृतिक महत्व के बारे में भी जानकारी रख सकते हैं जो आपको अतिरिक्त आत्मविश्वास देता है.
इन एक्पर्ट ने बताई राह:
दीक्षा खुराना, छात्र अध्यक्ष, निफ्ट दिल्ली
जे.जे. वलाया, फैशन डिजाइनर
पी.के. गेरा, डायरेक्टर, निफ्ट
मीरा कुरम, फैकल्टी, सृष्टि स्कूल ऑफ डिजाइन, बेंगलुरू
निएन साओ, डायरेक्टर, पर्ल एकेडमी, नोएडा