संत रविदास बेहद सरल व्यक्तित्व के स्वामी थे. उन्हें रैदास के नाम से भी जाना जाता है.
जो मिला उसे सहर्ष अपनाया
संत रविदास को जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला. उन्होंने इसे खुशी से अपनाया. वे अपना काम पूरी लगन से करते थे. यही नहीं वे समय के पाबंद भी थे.
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सबकी मदद करते थे
रैदास की खासियत ये थी कि वे बहुत दयालु थे. दूसरों की मदद करना उन्हें भाता था. कहीं साधु-संत मिल जाएं तो वे उनकी सेवा करने से पीछे नहीं हटते थे.
अन्याय को कभी नहीं सहा
उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. छुआछूत आदि का उन्होंने विरोध किया और पूरे जीवन इन कुरीतियों के खिलाफ ही काम करते रहे.
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कभी आलोचना नहीं की
संत रविादास के बारे में कहा जाता है कि वे जूते बनाने का काम बड़ी मेहनत से किया करते थे. वे समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज तो उठाते थे पर उन्होंने कभी किसी की आलोचना नहीं की.