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JEE-NEET: कोचिंग सेंटर- ड्रॉप आउट छात्रों का कहना, होनी चाहिए परीक्षा , वरना होगा बड़ा नुकसान

जहां ज्यादातर छात्र JEE-NEET की परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे हैं, वहीं ड्रॉप आउट और कोचिंग सेंटर्स के मालिकों का कहना है कि परीक्षा का आयोजन सही समय पर किया जाना चाहिए. नहीं तो छात्रों को बड़ा नुकसान हो सकता है. यहां पढ़ें पूरी जानकारी.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

JEE-NEET 2020: जहां ज्यादातर छात्र कोरोना वायरस के इस मुश्किल वक्त में JEE-NEET इम्तिहान को टालने के लिए अभियान चला रहे हैं, वहीं छात्रों का एक गुट ऐसा भी है जो चाहता है कि समय पर प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया जाना चाहिए. दिल्ली के मुखर्जी नगर में कोचिंग करने वाले छात्रों और कोचिंग सेंटर्स के मालिकों से 'आजतक' ने खास बातचीत की. जिसमें छात्रों ने खुलकर बात की और अपनी समस्या बताई.

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कई सारे छात्र जिनमें खास तौर पर वो छात्र हैं जिन्होंने अपने साल को ड्रॉप किया है वो चाहते हैं कि ये परीक्षाएं और न टाली जाएं बल्कि समय पर आयोजित की जानी चाहिए. काजल और अक्षत दो ऐसे छात्र हैं जिन्होंने दो साल इन परीक्षाओं की तैयारी में लगा दिए. दोनों छात्रों को पिछले साल सफलता हासिल तो नहीं हुई लेकिन इस साल वो मानते हैं कि उनकी तैयारी काफी अच्छी हैं. अगर परीक्षाएं हुई तो उन्हें भरोसा है कि कामयाबी मिलेगी.

साथ ही काजल कहतीं हैं कि उन्होंने पूरे लॉकडाउन के दौरान काफी मेहनत की, लेकिन अगर परीक्षाएं टल जाती हैं तो उन्हें काफी नुकसान होगा. अक्षत कहते हैं कि उन्होंने पिछले चार महीने के दौरान सब कुछ बंद होने के बावजूद दिल्ली में रहकर ही परीक्षा की तैयारी की. वहीं संकट के दौर में माता-पिता ने किराया भी दिया. उन्होंने कहा, हमारी क्लास ऑनलाइन होती रही. वहीं हमने परीक्षा के लिए काफी तैयारी की है. इसलिए वक्त पर ही परीक्षाएं होनी चाहिए.

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इन सबके बीच एक छात्र देवांश भी मिले जो इस साल पहली बार इंजीनियरिंग की परीक्षा देंगे. देवांश कहते हैं कि मैं फिलहाल कंफ्यूज हूं, क्योंकि तैयारी बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए परीक्षाएं टल जाएं तो बेहतर होगा.

टेंशन में हैं छात्रों के माता- पिता

परीक्षा की तैयारियों को लेकर न सिर्फ छात्र परेशान हैं बल्कि उनके अभिभावक और कोचिंग सेंटर्स चलाने वाले भी टेंशन में हैं. उनका कहना है कि अगर इस साल परीक्षा नहीं हुई तो अगला सेशन शुरू नहीं हो पाएगा, वहीं कई अभिभावक ऐसे भी हैं जिन्होंने ने अपनी सारी जमा पूंजी बच्चों की तैयारी कराने में लगा दी है. कोरोना वायरस के कारण उनके पास रोजगार भी नहीं है. इस समय उनकी आर्थिक स्थिति खराब है और वो सरकार से मांग कर रहे हैं कि परीक्षाओं को अब ज्यादा समय के लिए नहीं टालना चाहिए.

क्या है कोचिंग सेंटर्स के मालिकों का कहना

कोचिंग सेंटर्स के मालिकों का भी कहना है कि अगर परीक्षाएं टाली गईं तो लगभग चार महीने से बंद चल रहे उनकी कोचिंग पर न सिर्फ बोझ बढ़ेगा, बल्कि छात्रों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा.

इसी के साथ उनकी सालभर की मेहनत खराब हो जाएगी. मुखर्जी नगर में सिंह स्टडी कोचिंग के डायरेक्टर सतनाम सिंह कहते हैं कि हम तो चाहते हैं कि परीक्षाएं समय से हो जाएं, ताकि रुका हुआ सेशन रफ्तार तो पकड़ ले. अगर ऐसा नहीं होता है तो एकेडमिक सेशन रुके रहेंगे.

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वहीं इसी इलाके में 'लीगम एकेडमी' नाम की कोचिंग सेंटर चलाने वाली मोनिका भसीन कहतीं हैं कि, "बच्चों ने तैयारी की है, उनके साथ वो छात्र भी हैं जो ड्रॉप आउट थे, उनकी भी अगर परीक्षा नहीं होती है तो मनोबल टूट जाएगा."

ऐसे में जहां कोरोना को लेकर अधिकांश छात्र और कई राज्य सरकारें भी परीक्षाएं टालने की मांग कर रहे हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा आयोजन करने की अनुमति दे दी है.

 

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