फ्रांस को यूं ही सबके सपनों का देश नहीं कहा जाता. यहां लोग काम के वक्त सिर्फ काम करते हैं और मस्ती के दौरान सब-कुछ भूल कर अपनी धुन में रम जाते हैं.
तो आज हम आपको रू-ब-रू कराते हैं फ्रांस के ऐसे ही नियम-कायदों से जो इसे नौकरी की इच्छा रखने वालों के बीच सबसे ऊपर रखा जाता है.
काम के घंटों के बाद कोई डिस्टर्बेंस नहीं:
यहां यदि कोई शख्स उसके काम के घंटे पूरे कर ले तो वह अपना फोन स्विच ऑफ कर सकता है, और ईमेल से भी उचित दूरी बनाए रह सकता है. तो भैया, कहो और क्या चाहिए?
छुट्टियां ही छुट्टियां:
फ्रांस के साथ-साथ फिनलैंड में भी 30 दिनों की सवेतन छुट्टियां दी जाती हैं. बाकी की छुट्टियां, मातृत्व अवकाश और सवेतन अवकाश अलग से होते हैं. है न मजे वाली बात?
वीकेंड का मतलब दो दिन:
अधिकांश यूरोपीय देशों में वीकेंड भी दो दिनों का होता है. खूब काम और खूब आराम. ऐसा नहीं कि भारत की तरह सातों दिनों रगड़े रहो. वैसे ये ट्रेंड भारत में भी शुरू हो गया है.
पार्ट टाइम में भी फुल पगार:
यहां पार्ट टाइम काम करने की पगार भी एक फुल टाइम काम करने वाले शख्स के बराबर होती है. भारत में ऐसी किसी बात की आप कल्पना नहीं कर सकते.
अवसाद से बचने के हैं पूरे इंतजाम:
भारत में यदि कोई अवसादग्रस्त हो जाए तो सभी लोग उसे अकेला छोड़ देते हैं. मगर यूरोपीय देशों खास तौर पर फ्रांस में अपने कर्मचारी को अवसाद से बाहर लाने की संस्थागत व्यवस्था है.