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लाखों रुपये की नौकरी छोड़कर इंटेलिजेंस ब्‍यूरो ज्‍वॉइन कर रहे हैं युवा

आजकल पढ़े लिखे नौजवानों में इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) ज्‍वॉइन करने का क्रेज बढ़ रहा है. सिर्फ ग्रेजुएट ही नहीं डॉक्टर, वकील और इंजीनियर जैसे प्रोफेशनल कोर्स कर चुके युवा आईबी में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं. 

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आजकल पढ़े लिखे नौजवानों में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ज्वॉइन करने का क्रेज बढ़ रहा है. सिर्फ ग्रेजुएट ही नहीं डॉक्टर, वकील और इंजीनियर जैसे प्रोफेशनल कोर्स कर चुके युवा आईबी जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं.

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अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने सरकारी सूत्रों के हवाले से जुटाई जानकारी से लिखा है कि एजुकेशनल बैकग्राउंड जैसे एमबीए, एडवोकेट, बीई, बीटेक, एमटेक, आईटी स्पेश्लिस्ट, अकाउंट, साइंस ग्रेजुएट, डॉक्टर और यहां तक कि फार्मा इंजीनियर्स भी जासूस बनने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो ज्वॉइन करना चाहते हैं.

आंकड़ों की मानें तो इस साल आईबी 100 से ज्यादा लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग दे चुका है. इनमें से सबसे ज्यादा 15 कैंडिडेट तेंलगाना के हैं. इसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के 11-11, दिल्ली के 10 और आंध्र प्रदेश के 9 कैंडिडेट हैं.

उम्‍मीदवारों में असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर (ACIOs) ग्रेड-II बनने का क्रेज है. यह रैंक पुलिस में सब इंस्पेक्टर के बराबर है. 18-27 साल की उम्र के मणिपुर, तेलंगाना, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर के युवा आईबी ज्वॉइन करने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

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ज्‍यादातर युवा चुनौतीपूर्ण फील्‍ड की वजह से आईबी ज्वॉइन करना चाहते हैं. आईबी के एक सीनियर अधिकारी की मानें तो आईबी ज्वॉइन करने वाला एक युवा अपनी 1.5 लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़कर आया है.

वैसे भारत अब भी इंटेलिजेंस अधिकारियों की भारी कमी से जूझ रहा है. युवाओं को इस फील्‍ड की ओर आकर्षित करने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं ताकि आईबी को एशिया की बेस्‍ट एजेंसी बनाया जा सके.

गौरतलब है कि साल 2013 में तत्‍कालीन गृह राज्‍य मंत्री आरपीएन सिंह ने संसद में दिए एक जवाब में कहा था कि इंटेलिजेंस सर्विस में करीब आठ हजार अधिकारियों की कमी है. उनके मुताबिक कुल 26,867 अधिकारियों में से केवल 18,795 अधिकारी ही रिक्रूट किए गए हैं. यानी कि करीब 30 फीसदी अधिकारियों की कमी है.

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