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इतिहास

चौरी-चौरा कांड, जिसके बाद गांधी जी ने वापस ले लिया था असहयोग आंदोलन

शहीद स्‍मारक गोरखपुर
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आज यानी 4 फरवरी 2021 को ऐतिहासिक चौरी चौरा घटना का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका वर्चुअल उद्घाटन कर रहे हैं. चौरी चौरा की घटना को याद करने के लिए यूपी सरकार इस वर्ष चौरी चौरा की घटना का शताब्दी समारोह मना रही है. साल 1922 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी इस घटना को आइए सिलसिलेवार जानें कि आख‍िर ऐसा क्‍या हुआ था उस दिन.

Mahatma Gandhi
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चौरीचौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा है जहां 4 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा कांड हुआ था. ये इतिहास की वो घटना थी, जिसने महात्मा गांधी को इस कदर परेशान कर दिया था कि उन्होंने अपना असहयोग आंदोलन वापस लेने का फैसला किया. चौरी-चौरा के सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था.

असहयोग आंदोलन
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बता दें क‍ि उन दि‍नों असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था.दरअसल अंग्रेजी शासन के विरोध में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी. उस समय यूपी का चौरी-चौरा ब्रिटिश कपड़ों और अन्य वस्तुओं की बड़ी मंडी हुआ करता था. आंदोलन के तहत देशवासी ब्रिटिश उपाधियों, सरकारी स्कूलों और अन्य वस्तुओं का त्याग कर रहे थे.

 

 

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Mahatma Gandhi
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-इसी के तहत स्थानीय बाजार में भी विरोध जारी था. 2 फरवरी, 1922 को पुलिस ने आंदोलनकारियों के दो नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. इसके विरोध में 4 फरवरी को करीब तीन हजार आंदोलनकारियों ने थाने के सामने प्रदर्शन कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नारेबाजी की.

चौरीचौरा कांड
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इसे रोकने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की, लेकिन सत्याग्रहियों पर इसका असर नहीं हुआ. फिर पुलिस ने सीधे फायरिंग कर दी, इसमें तीन लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हुए. इसी बीच पुलिसकर्मियों की गोलियां खत्म हो गईं और वह थाने में छिप गए.

चौरी चौरा कांड
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साथियों की मौत से भड़के आक्रोशित क्रांतिकारियों ने थाने में आग लगा दी. इस घटना में तत्कालीन दरोगा गुप्तेश्वर सिंह समेत कुल 22 पुलिसकर्मी जलकर मारे गए. घटना में 222 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें से 19 लोगों को दो जुलाई, 1923 को फांसी की सजा हुई थी.

Mahatma Gandhi
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वहीं इस घटना के बाद से स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल क्रांतिकारियों के दो दल बन गए थे. एक था नरम दल और दूसरा गरम दल. शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद जैसे कई क्रांतिकारी गरम दल के नायक बने.

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