फिलिस्तीन के शासन में आने वाले शहर बेथलेहेम में यीशू का जन्मस्थान है. फिलिस्तीन की याचिका पर यूनेस्को ने यहां के चर्च को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. बेथलेहेम में एक गुफा में बना ईसा मसीह का जन्म स्थान है जिसके आसपास गिरजा बना दिया गया है. इसे चर्च ऑफ नेटिविटी कहते हैं. जानिए उस देश-शहर के बारे में जहां यीशू ने जन्म लिया था.
साल 529 ईसवी में समारियाई लोगों द्वारा, उनके विद्रोह के दौरान, इस शहर में लूट-पाट की गई थी, लेकिन यूनानी शासक जस्टिनियन प्रथम द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया. पहले यह स्थान घोड़ों का अस्तबल, भेड़शाला या शायद गौशाला था.
बाइबिल के अनुसार ईसा के माता-पिता नाजारेथ में निवास करते थे, लेकिन वे बाद में बेथलेहेम आए थे. उनके परिवार के नाजारेथ लौटने से पूर्व वहीं ईसा का जन्म हुआ था. विश्व के सबसे प्राचीन ईसाई समुदायों में से एक इस शहर में निवास करता है.
यूनेस्को का कहना है कि जिस स्थान पर यह चर्च है, उसे ईसाई परंपरा के अनुसार ईसा मसीह का जन्म स्थल माना जाता है. पानी के रिसाव के कारण वहां जाने वाला तीर्थ मार्ग क्षतिग्रस्त है. सबसे पहले 339 ईस्वी में एक चर्च पूरा किया गया था और छठी शताब्दी में आग लगने के बाद जिस इमारत ने उसकी जगह ली है, उसमें मूल इमारत के फर्श पर विस्तृत पच्चीकारी को बरकरार रखा गया है.
यह स्थान येरूशलम से 10 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. इसमें लैटिन, ग्रीक ऑथरेडॉक्स, फ्रांसिस्कन और आर्मीनियन कॉन्वेंट और गिरजाघरों के साथ-साथ घंटाघर और बगीचे भी शामिल हैं. फिलिस्तीनियों ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 21 राष्ट्रों वाली विश्व विरासत समिति की बैठक में तीर्थ मार्ग और चर्च को खतरे में पड़ी धरोहरों की सूची में डालने के लिए दबाव डाला था.
यह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के बेथलेहम शहर शासकीय-क्षेत्र की राजधानी और फिलिस्तीनी संस्कृति व पर्यटन का केंद्र है. बेथलेहम शहर यीशु का जन्मस्थान होने के कारण ईसाई समुदाय के आस्था का केंद्र है. बेथलेहम में मुस्लिम बहुमत है, लेकिन यह सबसे बड़े फिलिस्तीनी ईसाई समुदायों में से एक का घर भी है.
रहता है गाजा पट्टी का विवाद:
गाजा पट्टी एक छोटा सा फिलिस्तीनी क्षेत्र है, यह मिस्र और इसरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है. फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है. इस पर 'हमास' द्वारा शासन किया जाता है जो इजरायल विरोधी आतंकवादी समूह है. वो यूं क्योंकि फिलिस्तीन और कई अन्य मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य के रुप में मानने से इनकार करते हैं.
1947 के बाद जब UN ने फिलिस्तीन को एक यहूदी और एक अरब राज्य में बांट दिया था जिसके बाद से फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संर्घष जारी है जिसमें एक अहम मुद्दा जुइस राज्य के रूप में स्वीकार करना है तो दूसरा गाजा पट्टी है जो इजराइल की स्थापना के समय से ही इजरायल और दूसरे अरब देशों के बीच संघर्ष का कारण साबित हुआ है.
जून 1967 में जब दूसरी जंग हुई तो 6 दिनों तक चली, जिसमें इजरायल ने फिर से गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया. इजरायल का यह कब्जा 25 सालों तक चला लेकिन दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तीनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प के कारण और इजरायली सैनिकों पर कब्जा करने से एक विद्रोह का रुप ले दिया.
1994 में इजरायल ने इजरायल और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किया था. साल 2000 की शुरूआत में, पीए और इजरायल के बीच वार्ता नाकाम होने के कारण हिंसा अपने चरम रूप में पहुंच गया जिसे खत्म करने के एवज में इजरायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने 2003 के अंत में एक योजना की घोषणा की थी जिसके तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटने और स्थानीय निवासियों को बसाने पर केंद्रित है. सितंबर 2005 में इज़रायल ने क्षेत्र से पलायन पूरा कर लिया, और गाजा पट्टी पर नियंत्रण को पीए में स्थानांतरित कर दिया गया था, हालांकि इज़रायल ने इसके क्षेत्ररक्षण और हवाई गश्त को जारी रखा.