भारतीय सशस्त्र बल में पैदल सेना यानी इन्फैंट्री एक खास हिस्सा है जो जमीनी जंग में सबसे आगे रहती है. देश की सीमाओं की सुरक्षा से लेकर अलग मोर्चों पर इस सेना ने जाबांजी दिखाई है. आज का दिन इसी सेना के यश और गौरव का बखान करता है. इस सेना की शहादत और वीरता के इतिहास को याद करने के लिए 27 अक्टूबर को पैदल सेना दिवस यानी इन्फैंट्री डे मनाया जाता है. इसके पीछे एक पूरा इतिहास है, आइए जानें.
पैदल सेना दिवस 27 अक्टूबर को इसलिए मनाते हैं क्योंकि आज ही के दिन आजादी के कुछ ही दिनों बाद इस सेना ने अपनी जांबाजी से कश्मीर में एक मिशन चलाया था. ये वो दौर था जब कश्मीर सहित दो अन्य रियासतें भारत का हिस्सा बनी थीं. तब कश्मीर में राजा हरि सिंह का शासन था.
तब हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे को कुछ ही दिन हुए थे. पाकिस्तानी शासन कश्मीर पर नजर लगाए था, उनका तर्क वहां की बड़ी मुस्लिम आबादी को पाकिस्तान में शामिल करके उन्हें पाकिस्तान का सुरक्षित नागरिक बनाने का था. लेकिन राजा हरि सिंह ने इससे साफ मना कर दिया, इससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा और वो अपनी तरह से कश्मीर पर कब्जा करने की जुगत लगाने लगे.
इसके लिए पाकिस्तान ने एक नापाक चाल चली और अपने कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठिया बनाकर भेजने की योजना बनाई. कबायलियों की एक फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को तड़के सुबह कश्मीर में प्रवेश किया. तब महाराजा हरि सिंह ने हिन्दुस्तान से मदद मांगी. ऐसे में भारत ने उन्हें मदद के लिए आश्वस्त कर दिया. उसी दौर में महाराजा जय सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किया.
विलय के बाद बाद भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना का दस्ता हवाई जहाज से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया. जांबाज पैदल सैनिकों के जिम्मे पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आक्रमणकारी कबायलियों से लड़ना और कश्मीर को उनसे मुक्त कराना था. बता दें कि उस दौर में स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमणकारियों के खिलाफ यह पहल सैन्य अभियान था.
हजारों की संख्या में आए इन घुसपैठियों को पाकिस्तान की सेना का साथ था. इन कबायलियों ने एबटाबाद से कश्मीर घाटी पर हमला किया तो पैदल सैनिकों ने इनसे सीधा मोर्चा लिया. अंत में इन जांबाज सिपाहियों की बहादुरी से कश्मीर से कबायलियों को खदेड़ दिया गया. वो 27 अक्टूबर, 1947 का दिन था जब उनकी जांबाजी का चर्चा हर तरफ हो रहा था. आज भी उनके शौर्य को इस खास दिन सेलिब्रेट किया जाता है.