दुनिया भर में पुरुषों के लिए यह खास दिन उनके साथ हो रहे भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता के खिलाफ मनाया जाता है. पुरुषों को उनके अधिकार दिलाने के लिए ये खास दिन दुनियाभर के कई देशों में मनाया जाता है. हर साल इस दिन का एक खास थीम होता है. इस साल का थीम है, बेटर हेल्थ फोर मेन एंड बॉएज.
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के लिए पहली बार 1960 के दशक में आवाज उठी थी. उस दौरान कई पुरुषों ने 23 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस बनाने के लिए निजी तौर पर आंदोलन किया था, ये 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए हुए आंदोलनों के बराबर कहा जा सकता है.
जानें इतिहास
इंटरनेशनल मेंस डे का इतिहास बहुत पुराना नहीं है. इसकी शुरुआत 7 फरवरी 1992 को थॉमस ओस्टर द्वारा की गई थी. अब ये हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के बारे में थॉमस ओस्टर ने एक साल पहले 8 फरवरी 1991 को ही सोच लिया था. इसके बाद 1999 में इस परियोजना को त्रिनिदाद और टोबैगो ने शुरू किया और तबसे यह प्रचलन में आ गया.
अगर इंडिया की बात करें तो यहां पहली बार 2007 में इंटरनेशनल मेंस डे मनाया गया. पूरी दुनिया में 8 मार्च 1923 से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता रहा है. ऐसे में ऐसे किसी एक दिन की जरूरत पुरुषों के लिए भी महसूस हुई. जिस दिन उनके हक की बात हो.
सोशल मीडिया के जमाने में ये खास दिन काफी प्रचलन में आ गया. इस दिन को खासकर लैंगिक समानता के नजरिये से देखा जाता है. घर-परिवार की जिम्मेदारियों में पुरुषों की बराबर की भागीदारी तय करने और पितृसत्ता के खिलाफ एक संदेश देने के तौर पर ये दिन काफी प्रचलन में आ गया.
बता दें कि पहली बार अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भारत में साल 2007 में मनाया गया था. दरअसल इस साल पुरुषों के अधिकार के लिए लड़ने वाली संस्था ‘सेव इंडियन फैमिली' ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भारत में मनाया था.