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इतिहास

100 साल: खिलाफत आंदोलन से उपजा था जामिया मिलिया, गांधीजी ने कही थी ये बात

जामिया मिल्लिया इस्लामिया
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया 29 अक्तूबर 2020 को 100 वर्ष का हो जाएगा. इस  विश्वविद्यालय की स्थापना उस ब्रिटिश हुकूमत की शैक्षिक व्यवस्था के खिलाफ एक बग़ावत थी, जो अपना औपनिवेशिक शासन चलाने के लिए सिर्फ ‘बाबुओं‘ को बनाने तक सीमित थी. जानें इस विश्वविद्यालय का इतिहास. 

jamia old buildings
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खिलाफत आंदोलन से उपजा जामिया, जिसे बचाने के लिए कभी महात्मा गांधी हाथों में कटोरा लेकर भीख तक मांगने को तैयार थे. आज से ये विश्वविद्यालय 100 साल का हो जाएगा. आजादी के आंदोलन में शरीक होने वाला ये विश्वविद्यालय आज उत्कृष्ट यूनिवर्सिटी की कतार में शामिल हो चुका है. इसके इतिहास को जानकर आपको हैरानी होगी. 

Dr Rajendra Prasad, khawaja Abdul Majid and Prof Mujeeb at Jamia
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आज़ादी के बाद से आज यह यूनिवर्सिटी सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए देश के दस शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल है. हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच स्थान मिला. जामिया मिल्लिया इस्लामिया असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन से उपजा एक विश्वविद्यालय है. महात्मा गांधी ने अगस्त 1920 में असहयोग आंदोलन का ऐलान करते हुए भारतवासियों से ब्रिटिश शैक्षणिक व्यवस्था और संस्थानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था.

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Indira Gandhi
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गांधी जी के आह्वान पर उस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुछ अध्यापकों और छात्रों ने 29 अक्तूबर 1920 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद अलीगढ़ में रखी. इसको बनाने में स्वत्रंता सेनानी, मुहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा, मौलाना महमूद हसन जैसे लोगों का प्रमुख योगदान रहा. 1925 में जामिया, अलीगढ़ से दिल्ली स्थानांतरित हो गई. उस दौर में जामिया के अध्यापक और छात्र पढ़ाई के साथ ही आज़ादी की लड़ाई के हर आंदोलन में हिस्सा लेते थे. 

Book shop Run by Jamia in initial days
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आंदोलन के चलते यहां के शिक्षक और स्टूडेंट्स को अक्सर जेल भी जाना पड़ता था. ब्रिटिश शिक्षा और व्यवस्था के विरोध में बने, जामिया मिल्लिया इस्लामिया को धन और संसाधनों की बहुत कमी रहती थी. रजवाड़े और पैसे वाले लोग, अंग्रेज़ी हुकूमत के डर से इसकी आर्थिक मदद करने से कतराते थे. इसके चलते 1925 के बाद से ही यह बड़ी आर्थिक तंगी में घिर गया. ऐसा लगने लगा कि यह बंद हो जाएगा. लेकिन गांधी जी ने कहा कि कितनी भी मुश्किल आए, स्वदेशी शिक्षा के पैरोकार, जामिया को किसी कीमत पर बंद नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जामिया के लिए अगर मुझे भीख भी मांगनी पड़े तो मैं वह भी करूंगा. 

Takli Class in Jamia
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गांधी जी ने जमनालाल बजाज, घनश्याम दास बिड़ला और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय सहित कई लोगों से जामिया की आर्थिक मदद करने को कहा. इन लोगों की मदद से जामिया मुश्किल दौर से बाहर निकल आया. इसीलिए, जामिया के कुलपति ऑफिस कंपाउंड में फ़ाइनेंस ऑफिस की इमारत ‘जमनालाल बजाज हाउस‘ के नाम से जानी जाती है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेटे देवदास ने जामिया में एक शिक्षक के रूप में काम किया. गांधी जी के पोते रसिकलाल ने भी जामिया में पढ़ाई की.

Jamia College Library
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महान साहित्यकार, मुंशी प्रेमचंद का भी जामिया से ख़ास रिश्ता रहा. वह अक्सर वहां आकर ठहरा करते थे. उनके गहरे दोस्त, डॉ ज़ाकिर हुसैन ने उनसे आग्रह किया कि क्यों नहीं वह जामिया में रहते हुए एक कहानी लिखें. मुंशी प्रेमचंद ने रात भर जग कर अपनी कालजयी कहानी ‘कफ़न‘ यहीं लिखी, जिसे पहली बार ‘जामिया पत्रिका’ में प्रकाशित किया गया. 
साल 2004 में जामिया में ‘मुंशी प्रेमचंद अभिलेखागार और साहित्य केंद्र‘ की स्थापना की गई. इसमें प्रेमचंद की प्रकाशित, अप्रकाशित और अधूरी कहानियों सहित अखबारों-पत्रिकाओं में छपे उनके लेखों का संग्रह है. प्रेमचंद के अलावा अन्य भारतीय सहित्कारों के दुर्लभ कार्य भी यहां उपलब्ध हैं. 

MA Ansari Auditorium Jamia
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स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा रहे, जामिया ने आज़ादी के बाद देश की ज़रूरतों के अनुरूप, आधुनिक शिक्षा पर ख़ास ध्यान देना शुरू किया. आज जामिया देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जो भारत की तीनों सेनाओं, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के लिए, आगे की पढ़ाई के अवसर मुहैया कराता है. उल्लेखनीय है कि सेना के जवान कम उम्र में भर्ती होते हैं और अन्य सेवाओं की तुलना में कम उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं. ऐसे में सेना में रहते हुए आगे की पढ़ाई करके, अवकाशप्राप्ति के बाद उन्हें अच्छे रोज़गार पाने के अवसर मिल जाते हैं. 

A student making his presentation
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वर्ष 2010 में स्थापित, जामिया की रेज़िडेन्शल कोचिंग अकादमी (आरसीए) ने यूपीएससी सीविल सेवाओं में सभी समुदायों की महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. यहां मुफ्त कोचिंग पाने वाले छात्रों में अब तक 230 से अधिक यूपीएससी सेवाओं के लिए कामयाब हो चुके हैं. इसके अलावा 250 से ज़्यादा अन्य केन्द्रीय एवं प्रांतीय सि‍विल सेवाओं में शामिल हुए हैं. जामिया में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को आज देश-विदेश हर जगह मान्यता मिल रही है. इस साल नेशनल इन्स्टिटूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में जामिया को केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 10 वां और देश के सभी शिक्षण संस्थानों में 16 वां स्थान मिला है. लंदन के टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में जामिया को भारत में 12 वां और दुनिया के 1527 विश्वविद्यालयों में 601-800 की श्रेणी में रखा है. क्यूएस वर्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 751-800 के बीच, राउंड यूनिवर्सिटी वर्ल्ड रैंकिंग में जामिया को देश के 25 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में तीसरा स्थान दिया गया है. हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन का आकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच स्थान मिला. जामिया देश के उन चुनिन्दा संस्थानों में से एक है जहां नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई होती है. 
 

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