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इतिहास

Budget 2021: जानिए मोदी सरकार में क्‍यों लाल कपड़े में लाया गया था बजट?

बजट के साथ व‍ित्‍तमंत्री (Getty)
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नरेंद्र मोदी सरकार का संसद में बजट पेश होने से पहले ही मीडिया में चर्चा में आ गया था. इसकी एक वजह इसका बदला रंग रूप भी रहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट के दस्तावेज परंपरागत तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रीफकेस के बजाय पूरी पटकथा को मखमली लाल कपड़े से कवर करके ले गई थीं. कहा जा रहा है कि इस साल भी बजट लाल कपड़े में ही ले जाया जाएगा. जानें इसके पीछे जुड़ी कहानी...

प्रतीकात्‍मक फोटो
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इस नई परंपरा के साथ कहा गया कि मोदी सरकार ने बजट से जुड़ी अंग्रेजों की पुरानी परंपरा को भी खत्म कर दिया है. बता दें क‍ि बैग में बजट की परंपरा 1733 में तब शुरू हुई थी जब ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल बजट पेश करने आए थे और उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था. 

बजट के साथ व‍ित्‍तमंत्री (Getty)
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इस थैले में ही बजट से जुड़े दस्तावेज थे. चमड़े के इस थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था, उसी के आधार पर बाद में इस प्रक्रिया को बजट कहा जाने लगा. फिर लाल सूटकेस का इस्तेमाल पहली बार 1860 में ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन ने किया था. इसे बाद में ग्लैडस्टोन बॉक्स भी कहा गया और लगातार इसी बैग में ब्रिटेन का बजट पेश होता रहा. लंबे समय बाद इस बैग की स्थिति खराब होने के बाद 2010 में इसे आधिकारिक तौर पर रिटायर किया गया.

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फाइल फोटो, पूर्व व‍ित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी (Getty)
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भारत में लेदर बैग से शुरू हुआ बजट

1947 में अंग्रेजों से तो भारत को आजादी मिल गई लेकिन बजट की परंपरा अंग्रेजों वाली ही रही. देश के पहले वित्त मंत्री आर.के शानमुखम चेट्टी ने जब 26 जनवरी 1947 को पहली बार बजट पेश किया तो वह भी एक लेदर के थैले के साथ संसद पहुंचे. इसके बाद कई सालों तक इसी परंपरा के साथ बजट पेश होता रहा.

प्रतीकात्‍मक फोटो
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1958 में यह परंपरा बदली और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने काले रंग के ब्रीफकेस में बजट पेश किया. इसके बाद जब 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया तो ब्रीफकेस का रंग बदलकर लाल कर दिया गया. तब से ही लाल ब्रीफकेस में बजट पेश किया जाता रहा है. यहां तक कि 1 फरवरी 2019 का अंतरिम बजट भी पीयूष गोयल ने लाल ब्रीफकेस में ही पेश किया था.

पूर्व व‍ित्‍तमंत्री अरुण जेटली (Getty)
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मगर, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट लेकर आईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में लाल ब्रीफकेस की जगह बजट के दस्तावेज लाल मखमली कपड़े में लिपटे नजर आए. ऐसा पहली बार हुआ जब लेदर का बैग और ब्रीफकेस दोनों ही सरकार के बजट से गायब हो गए हैं. बजट की इस नई परंपरा को बही-खाता बताया जा रहा है.

बजट के साथ व‍ित्‍तमंत्री (Getty)
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देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने इस पर कहा कि यह भारतीय परंपरा है जो गुलामी व पश्चिम के विचारों से भारत की आजादी को प्रदर्शित करती है. सुब्रमण्यम ने ये भी कह दिया कि यह बजट नहीं, बही-खाता है. यानी फ्रैंच भाषा के बुजेट शब्द के आधार पर लैदर बैग और सूटकेस में पेश किए जाने वाले आर्थिक खाके को बजट का जो नाम दिया गया उसे अब बही-खाता कहा जा रहा है.

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