लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा से 8 लोगों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में यह जिला छा गया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आदि नेताओं को हिरासत में लिया गया है. आइए जानते हैं कभी लक्ष्मीपुर से बसे लखीमपुर जिला और किन चीजों के लिए पहचाना जाता है. इस जिले के इतिहास के बारे में खास बातें जानें...
लखीमपुर जिले को पहले लक्ष्मीपुर के नाम से जाना जाता था. लखीमपुर शहर से 2 किलोमीटर (1.2 मील) खीरी कस्बा है. इसका नाम साईंद खुर्द के अवशेषों पर निर्मित कब्र से लिया गया है, जिनकी 1563 में मृत्यु हो गई थी. आजादी से पहले कब्र को 1856 के अधिनियम 18 के तहत प्रशासन ने इसकी देखरेख का जिम्मा लिया था.
यहां लखीमपुर से सीतापुर तक मार्ग पर 12 किलोमीटर दूर ओइल में मेंढक मंदिर स्थित है. यह भारत में अपनी तरह का एक मात्र है, जो मंडूक तानात्रा पर आधारित है. यह 1860 से 1870 के बीच ओल राज्य (जिला लखीमपुर खेरी) के पूर्व राजा द्वारा बनाया गया था. यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है. यह मंदिर 18 x25 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक बड़े मेढक के पीछे बनाया गया है. मंदिर का निर्माण ओक्टा-हेड्रल कमल के बीच होता है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग को “बानसुर प्रदरी नरमेश्वर नरदादा कंड” से लाया गया था.
इतिहास में उल्लेख्य मिलता है कि लखीमपुर खीरी का उत्तरी भाग राजपूतों द्वारा 10वीं सदी में बसाया गया था. मुस्लिम शासन धीरे-धीरे इस दूरदराज के और अजीब इलाके में फैल गया. 14 वीं शताब्दी में नेपाल से हमलों की घुसपैठ को रोकने के लिए उत्तरी सीमा के किनारे कई किलों का निर्माण किया गया था. यहां की परंपराएं हस्तिनापुर की चंद्र चौड़ के शासन के तहत इस स्थान को शामिल करने की ओर इशारा करती हैं और कई स्थान महाभारत के एपिसोड से जुड़े हैं.
प्रथम पंचवर्षीय योजना में बने 22 किलोमीटर लंबा शारदा सागर डैम भी इस जिले को खास बनाता है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 625 फुट मानी गई थी, शारदा नगर इलाके में इस डैम के पास स्थित हनुमान मंदिर इसे और खास बनाता है. हालांकि कहा जा रहा है कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह डैम साल दर साल जर्जर होता जा रहा है. फिर भी इस डैम ने लखीमपुर जिले को खास पहचान दी है.
प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व वाले इस जिले में अभयारण्य के भी नजारे खास है. वजह यहां से दुधवा नेशनल पार्क की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है, ये पार्क यहां से दो या तीन घंटे की दूरी पर है. दुधवा नेशनल पार्क या दुधवा टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के इलाकों से होते हुए भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित है, जो क्षेत्र के दो सबसे अविश्वसनीय अभयारण्य, किशनपुर और कटतरनी घाट वन्यजीव अभयारण्य को उत्कृष्ट प्राकृतिक वन का दर्जा देता है.
लखीमपुर में स्थित तीरथ कुंंड भगवान शिव को समर्पित है. यह गोला गोकरन नाथ या छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक महत्व के अनुसार भगवान शिव ने रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था. रावण ने भगवान शिव से यह प्रार्थना की वह उनके साथ लंका चले और हमेशा के लिए लंका में रहें. भगवान शिव रावण की इस बात से राजी हो गए. मगर उनकी भी शर्त थी कि वो लंका को छोड़कर अन्य किसी और स्थान पर नहीं रहेंगे. रावण भी इस बात के लिए तैयार हो गया और भगवान शिव और रावण ने लंका के लिए अपनी यात्रा आरंभ की थी. इस मंदिर में स्थित शिवलिंग पर रावण के अगूठे का निशान वर्तमान समय में भी मौजूद है. प्रत्येक वर्ष चैत्र माह में चेती मेले का आयोजन किया जाता है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 134 किलोमीटर (77 मील) दूर स्थित लखीमपुर यहां हुई हिंसक घटना को लेकर चर्चा में है. बता दें कि लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीट दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गांव में हुई हिंसा और आगजनी में बताया जा रहा है कि अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है. इस जिले के लिए यूपीएसआरटीसी बस सेवा का संचालन करता है. इसके अलावा अमौसी एअरपोर्ट तक हवाई यात्रा के बाद बस या ट्रेन के जरिये यहां पहुंचा जा सकता है. यूपीएसआरटीसी बस सेवाएं लखनऊ (कैसरबाग बस स्टेशन) से लखीमपुर तक उपलब्ध हैं.