इतिहास के पन्नों में न जाने कितने दर्द दर्ज हैं, साथ ही लिखी हैं वो इबारतें भी जब जख्मों पर मरहम लगाए गए. ऐसा ही एक दिन था 19 मार्च, 1972 का, जब भारत बांग्लादेश शिखर वार्ता के अंत में को भारत-बांग्ला मैत्री एवं शांति संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. जानिए- किन शर्तों पर लिखी गई दोस्ती की ये नई इबारत, क्या था पार्टिशन का इतिहास.
बता दें कि बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन ने की थी. तब एक मुस्लिम बहुल राज्य बनाने के लिए भारत के बंगाल को दो भागों में बांट दिया गया. बंगाल-विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ. इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है. यह अंग्रेजों की "फूट डालो-राज करो" वाली नीति का हिस्सा था. इसके विरोध में 1908 में देशभर में `बंग-भंग' आन्दोलन हुआ. इस विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनों तरफ के हिस्से भारतीय जनता के दबाव की वजह से फिर से एक हो गए.
बता दें कि सालोंसाल की खींचतान और विभाजन के घावों को भुलाकर 1972 में दुनिया के सबसे पुराने देशों में शुमार भारत का सबसे नए देश बांग्लादेश के साथ आपसी सहयोग का एक नया युग शुरू हुआ था. वो आज का ही दिन था जब शांति और सहयोग की आधारशिला पर मैत्री संधि की गई.
इस संधि में जिन साझे मूल्यों का उल्लेख किया गया, उनमें उपनिवेशवाद की आलोचना और गुटनिरपेक्षता जैसी बातें शामिल थीं. इस संधि में दोनों देशों ने दुश्मनी भुलाकर एक-दूसरे से यह वादा भी किया कि वे कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे. वो कूटनीतिक स्तर पर भी एक दूसरे के साथ खड़े होंगे.
विभाजन के उस दौर के इतिहास में कई नाम भी दर्ज हैं. उनमें कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले, ज्योति बसु, बुद्धदेव भट्टाचार्य और एक नाम श्यामाप्रसाद मुखर्जी का भी आता है. बताते हैं कि उन्होंने जनसंघ की स्थापना के साथ ही बंगाल विभाजन का मुद्दा उठाया था.
बता दें कि देश को आज़ादी मिलने के साथ ही देश के विभाजन का भी दंश झेलना पड़ा था. इसमें बंगाल का भी विभाजन हुआ. पश्चिम बंगाल का हिस्सा भारत में रह गया और पूर्वी बंगाल का हिस्सा पाकिस्तान में चला गया और बाद में पूर्वी पाकिस्तान कहलाया. दोनों ही हिस्सों को ख़ून ख़राबे के अलावा विस्थापन और शरणार्थियों की समस्याओं से रूबरू होना पड़ा. फिर 1971 में भारत के सक्रिय सहयोग से पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र देश होकर बांग्लादेश बना. लेकिन इस दौरान एक बार फिर पश्चिम बंगाल को लाखों लोगों को शरण देनी पड़ी. वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं.