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इतिहास

म्‍यांमार में सैन्य तख्‍तापलट, जानिए- भारत से इस देश के कैसे रहे हैं रिश्ते

वि‍त्‍तमंत्री के साथ म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखने वाले पड़ोसी देश म्यांमार में तख्तापलट हो गया है. म्यांमार की सेना ने वास्‍तविक नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान किया है. आइए जानें इस देश के बारे में खास बातें, कैसे हैं इसके भारत के साथ रिश्‍ते...

म्‍यामार, वि‍श्‍व के नक्‍शे में
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म्यांमार दक्षिण एशिया का एक देश है जिसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' है. बर्मी भाषा में र का उच्चारण य किया जाता है अतः सही उच्चारण म्यन्मा है. इसका पुराना अंग्रेज़ी नाम बर्मा था जो यहां के सर्वाधिक मात्रा में आबाद जाति (नस्ल) बर्मी के नाम पर रखा गया था. म्यांमार धीरे-धीरे लोकतांत्रिक परिपक्वता की ओर बढ़ रहा था लेकिन तख्‍तापलट ने फिर से इसे सालों पीछे खड़ा कर दिया है. 

राष्‍ट्रप‍त‍ि रामनाथ कोव‍िंंद के साथ म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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भारत और म्यांमार के रिश्‍ते काफी पुराने और गहरे हैं. आधुनिक काल में 1937 तक बर्मा भी भारत का ही भाग था और ब्रिटिश राज के अधीन था. आपको बता दें कि‍ बर्मा के अधिकतर लोग बौद्ध हैं और इस नाते भी भारत का सांस्कृतिक सम्बन्ध बनता है. 

 

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भारत म्‍यामार सीमा
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पड़ोसी देश होने के कारण भारत के लिए बर्मा का आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक महत्व भी है. अगर इतिहास में झांकें तो भारतीय स्वाधीनता की पहली संगठित लड़ाई की अगुवाई कर रहे बहादुरशाह जफर को कैद कर रखा गया था जहां उनकी आखरत भी हुई. उन्‍हें वहीं दफनाया भी गया. फिर इसी बर्मा की धरती पर बाल गंगाधर तिलक को अंग्रेजों ने मांडले जेल में रखा.

राष्‍ट्रप‍त‍ि रामनाथ कोव‍िंंद के साथ म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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म्यांमार की 89 फीसदी जनता बौद्ध धर्म को मानती है. भारत से शुरू होकर बौद्ध धर्म आज पूरी दुनिया में फैल गया है लेकिन म्यांमार में उसके अनुयायियों की तादाद बहुत ज्यादा है. म्यांमार में रेगिस्तान के अलावा सबकुछ है. सब कुछ बोले तो यहां की भौगोलिक खूबसूरती बेजोड़ है. पहाड़ियों की श्रृंखला, झरने और झील यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.

म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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यहां लंबे समय तक सैन्य शासन रहा है. साल 1962 तक म्यांमार में सेना का शासन रहा है, और यहां की अवाम ने सैन्य शासन के खिलाफ लंबा संघर्ष किया है. यहां आंग सान सू की नामक नेत्री ने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर आगे की ओर कदम बढ़ाया. 'द लेडी' के नाम से मशहूर इस नेत्री को शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है.

पीएम के साथ म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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म्यांमार के सकल घरेलू उत्पाद का आधा हिस्सा कृषि के माध्यम से आता है. चावल यहां का प्रमुख खाद्य पदार्थ है. म्यांमार की इरावदी नदी को वहां सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. इसे म्यांमार में अनहद प्रवाह का द्योतक माना जाता है. 

पीएम मोदी के साथ म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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बच्चों के जन्म के 7 दिनों के भीतर उनका नामकरण नहीं किया जाता. गर्भवती महिलाओं को केला और मिर्च खाने की मनाही है. म्यांमार में ऐसा मानना है कि केला खाने से बच्चे का आकार बेतहाशा बढ़ेगा होगी तो वहीं मिर्च उसके बाल उगने के क्रम को रोक देंगी.

पीएम मोदी के साथ म्‍यामार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष आंग सान सू की
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यहां एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 1031.60 लोकल क्यात है. क्यात यहां की करेंसी है. यहां के पैगोडा दुनिया भर से सैलानियों को आकर्षित करते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स ने खूबसूरती के मामले में इस देश को पूरी दुनिया में तीसरा स्थान दिया है.

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म्‍यामार में पीएम मोदी
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साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार दौरा किया था. उन्‍होंने यहां के सबसे प्राचीन शहर बागान में स्थित आनंद मंदिर का दौरा किया. यह म्यांमार के बागान का सबसे ऐतिहासिक और पवित्र मंदिर है. 1105 ईसवी में बने इस मंदिर को पगान राजवंश के राजा क्यानजित्था ने बनवाया था. इस मंदिर का नाम बुद्ध के प्रथम चचेरे भाई और निजी सचिव वेनरेबल आनंद के नाम पर रखा गया है.

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