कभी खतों के जरिये एलिजाबेथ से प्यार करने वाला एक सिपाही जो देश की सेवा के लिए प्राण न्यौछावर करने को तैयार था. एलिजाबेथ के प्रिंसेज से क्वीन बनते ही सबसे ज्यादा भूमिका अगर किसी की प्रभावित हुई तो वो थे उनके पति ड्यूक ऑफ एडनबर्ग प्रिंस फिलिप. एक खुशमिजाज इंसान ही नहीं बल्कि उनकी पहचान एक जिम्मेदार पिता और वफादार पति के तौर पर हमेशा की जाती रहेगी. आज 99 साल की उम्र में वो मौत से हार गए और पत्नी व परिवार से अंतिम विदा ली. आइए जानें उनके बचपन से 99 साल के इस पूरे दौर के वो पड़ाव जब उनकी सोच और समझदारी ने उनके किरदार में चार चांद लगाए.
ग्रीस और डेनमार्क के प्रिंस फिलिप का जन्म 10 जून 1921 को कोर्फू के ग्रीक द्वीप पर सोम रिपोज में हुआ था. वो ग्रीस और डेनमार्क के प्रिंस एंड्रयूज और राजकुमारी एलिस के इकलौते बेटे और पांचवीं व अंतिम संतान थे. डेनमार्क के शासक घर ग्लूकसबर्ग के एक सदस्य होने के साथ साथ वो ग्रीस के जॉर्ज प्रथम और डेनमार्क के ईसाई IX से अपने पितृवंशीय वंश के आधार पर ग्रीस और डेनमार्क दोनों के राजकुमार थे. फिलिप की चार बड़ी बहनें मार्गरिटा, थियोडोरा, सेसिली और सोफी थीं. उन्हें कोर्फु में पुराने किले के सेंट जॉर्ज चर्च में ग्रीक रूढ़िवादी संस्कार में बपतिस्मा दिया गया था.
बताते हैं कि उनका बचपन काफी कठिनाई में बीता. उनकी मां सिजोफ्रीनिया का शिकार थीं, जिसके कारण वो लंबे समय तक मेंटल असाइलम में रहीं. फिलिप का जन्म भले ही ग्रीक और डेनिश शाही परिवारों में हुआ था लेकिन जब वो गोद में थे तभी उनका परिवार देश से निर्वासित कर दिया गया था.
फिलिप की पढ़ाई फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में हुई. यहां से शिक्षित होने के बाद उन्होंने 18 साल की उम्र में 1939 में ब्रिटिश शाही नौसेना ज्वाइन की. उसी दौरान उन्होंने 13 साल की राजकुमारी एलिजाबेथ के साथ पत्र व्यवहार करना शुरू कर दिया था, जिनसे वे पहली बार 1934 में किसी आयोजन में मिले थे.
फिलिप ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भूमध्यसागरीय और प्रशांत क्षेत्र में भेद किया. युद्ध के बाद, फिलिप को जॉर्ज VI ने एलिजाबेथ से शादी करने की अनुमति दी थी. जुलाई 1947 में उनकी सगाई की आधिकारिक घोषणा से पहले, उन्होंने अपने ग्रीक और डेनिश खिताब और शैलियों को त्याग दिया और ब्रिटिश नागरिकता अपनाते हुए अपने नाना के उपनाम माउंटबेटन को अपनाया.
उन्होंने 20 नवंबर 1947 को एलिजाबेथ से शादी की. यह शाही शादी दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी थी. बताते हैं कि शादी से ठीक पहले उन्हें किंग जॉर्ज VI द्वारा हिज रॉयल हाईनेस और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, अर्ल ऑफ मेरियोनेथ और बैरन ग्रीनविच की उपाधि मिली. इसके बाद से रॉयल कपल हमेशा सुर्खियों में रहने लगा.
अब भी आर्मी में रहते हुए देश की सेवा में लगे रहे. फिर साल 1952 में जब किंग जॉर्ज VI ने एलिजाबेथ को रानी का ताज पहनाया, उस दौर में ही फिलिप ने सक्रिय सैन्य सेवा छोड़ दी, जिसमें वो कमांडर के पद तक पहुंच चुके थे. यहां से वो वक्त आया जब उनकी पत्नी को ब्रिटिश सत्ता की कमान सौंप दी गई थी. मीडिया का ध्यान उन पर भी रहने लगा था. कई बार उनके पद को लेकर बात होती थी. इसके बाद 1957 में उन्हें क्वीन ने ब्रिटिश राजकुमार के खिताब से नवाजा.
कुछ साल पहले नेटफ्लिक्स पर आई सीरीज द क्राउन के बारे में दावा किया जाता है कि यह रॉयल फैमिली पर आधारित है. इस सीरीज में प्रिंस फिलिप के किरदार के पहलू दिखाए गए हैं, जहां वो कई बार पत्नी के ताज मिलने के बाद लोगों की वितृष्णा और तानों को झेलते हुए भी अंत में एक समझदारी भरा फैसला लेते हैं. पति के तौर पर वो क्वीन एलिजाबेथ का हर कदम पर हौसला बढ़ाते हैं.
बता दें कि प्रिंस फिलिप और क्वीन एलिजाबेथ की चार संतानें हैं, द क्राउन को सही मानें तो उनके संबंध अपने बच्चों के साथ काफी दोस्ताना रहे. उनकी छवि एक खुशमिजाज लेकिन जिम्मेदार पिता और पति की ही बनती है. वो अपनी पत्नी को ताज मिलने के बाद एक ऐसा जीवन जीने की आदत डालते हैं जहां शाही ठाठ बाट के बीच व्यक्तिगत जिंदगी में कई नुकसान उठाने पड़ते हैं, लेकिन वो हालात को हंसकर जीते रहे और उसे जीवंत बनाते रहे.