दुनिया को बल्ब की रौशनी का तोहफा देने वाले मशहूर वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन का आज जन्मदिन है. उन्होंने सिर्फ बल्ब ही नहीं हजारों पेटेंट अपने नाम कराए. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कभी ऐसा भी दौर आया था जब उन्हें स्कूल ने पढ़ाने से मना कर दिया था. लेकिन यह बात उन्हें पता तब चली जब वो फोनोग्राम और इलेक्ट्रिक बल्व जैसे अविष्कार कर चुके थे. उन्होंने अपनी जीवनी में अपनी मां से जुड़ी इस घटना का जिक्र भी किया है. आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें...
महान अमेरिकन आविष्कारक और व्यवसायी थॉमस एल्वा एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1847 को हुआ था. उनके नाम 1,093 पेटेंट हैं. जो उनकी मेहनत को दर्शाते हैं. आज दुनिया उनके आविष्कार का लोहा मानती है. बिजली के बल्ब की खोज इनकी सबसे बड़ी खोज मानी जाती है. बिजली के बल्ब के आविष्कार करने में उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी. एडिसन बल्ब बनाने में 10 हजार बार से अधिक बार असफल हुए. जिसपर उन्होंने कहा 'मैं कभी नाकाम नहीं हुआ बल्कि मैंने 10,000 ऐसे रास्ते निकाले लिए जो मेरे काम नहीं आ सके.'
एडिसन ने अपनी पहली प्रयोगशाला सिर्फ 10 साल की आयु में ही बना ली थी. उनकी मां ने उन्हें एक ऐसी पुस्तक दी जिसमें कई सारे रसायनिक प्रयोग दिए हुए थे. एडिसन को यह पुस्तक भा गई और उन्होंने अपने सारे पैसे रसायनो पर खर्च करके यह सारे प्रयोग कर डाले. थॉमस एडिसन का कोई प्रयोग पूरा होने को होता तो वह बिना सोए लगातार 4- 4 दिन इस प्रयोग के खत्म होने तक लगे रहते. साथ ही काम करते समय कई बार अपना खाना खाना ही भूल जाते थे.
उनके बचपन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो हमें बहुत कुछ सिखाते हैं. उनमें से एक किस्सा बहुत प्रचलन में है. जिसके अनुसार उन दिनों की बात है जब थॉमस अल्वा एडिसन प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे. एक दिन स्कूल में टीचर ने एडिसन को एक कागज दिया और कहा कि यह ले जाकर अपनी मां को देना. एडिसन ने मां को दिया तो उनकी मां नैंसी मैथ्यू इलिएट जो कि सुशिक्षित डच परिवार से थीं, वह कागज पढ़ते-पढ़ते तकरीबन रो पड़ीं.
मां को रोते देख एडिसन ने पूछा कि ऐसा क्या लिखा है कि आप रो पड़ीं तो मां ने कहा कि यह खुशी के आंसू हैं, इसमें लिखा है कि आपका बेटा बहुत होशियार है और हमारा स्कूल निचले स्तर का है. यहां टीचर भी बहुत शिक्षित नहीं हैं इसलिए हम इसे नहीं पढ़ा सकते. इसे अब आप स्वयं पढ़ाएं. एडिसन भी इस बात से खुश हुए और घर पर मां से ही पढ़ना और सीखना शुरू कर दिया.
कई साल बीत गए, वो पढ़-लिखकर एक स्थापित वैज्ञानिक बीत चुके थे. मां उन्हें छोड़कर दुनिया से जा चुकी थीं. तभी एक दिन घर में कुछ पुरानी यादों को तलाशते उन्हें अपनी मां की अल्मारी से वही पत्र मिला जो उनकी स्कूल टीचर ने दिया था, वो पत्र पढ़कर एडिसन अपने आंसू नहीं रोक सके. क्योंकि उस पत्र में लिखा था कि आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर है इसलिए उसे अब स्कूल न भेजें. इसे एडिसन ने अपनी डायरी में लिखा कि एक महान मां ने बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया.
थॉमस एडिसन ने 14 साल की आयु में एक 3 साल के बच्चे को ट्रेन के नीचे आने से बचाया. उस बच्चे के पिता ने एडिसन का बहुत धन्यवाद किया. साथ ही एडिसन को टेलीग्राम मशीन चलानी सिखाई. बाद में एडिसन को कहीं पर टेलीग्राम चलाने के विषय में एक स्टेशन पर नौकरी भी मिल गई. उन्होंने अपनी नौकरी का समय रात को करवा लिया, ताकि प्रयोगों के लिए ज्यादा समय मिल सके.
बता दें कि एडिसन ने 40 इलेक्ट्रिक लाइट बल्ब जलते देखने के लिए 3 हजार लोगों का हुजूम जुटा था. जिसके बाद न्यूयॉर्क सिटी में पर्ल स्ट्रीट पावर स्टेशन खोलने के बाद ग्राहकों को बिजली पहुंचानी शुरू की गई. पहली बार बल्ब बनाने में 40 हजार डॉलर की लागत आई थी. लेकिन बता दें कि साल 1879 से 1900 तक ही एडिसन अपनी सारी प्रमुख खोजें कर चुके थे और वह एक वैज्ञानिक के साथ-साथ एक अमीर व्यापारी भी बन चुके थे. उनका निधन 18 अक्टूबर 1931 को हुआ.