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इतिहास

कौन थीं अह‍िल्याबाई होलकर?...जब अपने ही बेटे को कुचलने के लिए हो गईं थीं रथ पर सवार

Ahilyabai holkar (getty)
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पौराण‍िक और ऐतिहास‍िक कहान‍ियां दर्शकों को हमेशा से पसंद आती रही रही हैं. अह‍िल्याबाई होलकर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. अब उनके बचपन के बाद सोमवार से टीवी पर उनके युवा अध्याय को पर्दे पर दिखाया जा रहा है. इतिहास में उनके बारे में वो सच्चाई दर्ज है जिसके अनुसार अह‍िल्याबाई ने अपने ही बेटे को कुचलने के लिए रथ की सवारी की थी. आइए जानें- अह‍िल्याबाई होलकर के जीवन के बारे में ये खास बातें... 

Ahilyabai holkar (stamp)
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अहिल्या बाई को न्याय की देवी कहा जाता था. एक बार की घटना का जिक्र उन्हें लेकर बहुत प्रचलित है. इसके अनुसार अहिल्याबाई के बेटे मालोजी राव एक बार अपने रथ से सवार होकर राजबाड़ा के पास से गुजर रहे थे. तभी रास्ते में एक गाय का छोटा-सा बछड़ा खेल रहा था. लेकिन जैसे ही मालोराव का रथ वहां से गुजरा वो बछड़ा कूदता-फांदता रथ की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गया. बस चंद मिनटों में तड़प-तड़प कर बछड़ा मर गया. 

Ahilyabai holkar (सीरियल का पोस्टर)
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बताते हैं कि मालोजी राव ने इस घटना पर ध्यान नहीं दिया और अपने रथ समेत आगे बढ़ने लगे. वो गाय अपने बछड़े के पास पहुंची और बछड़े को मरा हुआ देखकर वहीं सड़क पर बैठ गई. तभी वहां से अहिल्याबाई का रथ गुजरा. वो ये नजारा देखकर वहीं ठ‍िठक गईं. आसपास के लोगों से पूछने लगीं कि ये घटना कैसे हुई. किसने बछड़े के साथ ये किया. 

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Ahilyabai holkar (सीरियल का पोस्टर)
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कोई भी उनके बेटे का नाम लेते हुए डर रहा था. किसी को ये हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि वो मालोजी राव का नाम बताए. फिर किसी ने हिम्मत करके उन्हें घटना का पूरा वृतांत सुनाया. अहिल्याबाई इस बात से क्रोध‍ित होकर सीधे अपने घर पहुंचीं. वहां अपनी बहू को बुलाया. उन्होंने अपनी बहू से पूछा कि अगर कोई मां के सामने उसके बेटे पर रथ चढ़ा दे और रुके भी नहीं तो क्या करना चाहिए. 

Ahilyabai holkar
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उनके इस सवाल पर उनकी बहू मेनाबाई ने कहा कि ऐसे आदमी को मृत्युदंड देना चाहिए. बहू की बात सुनकर वो काफी देर सोचती रहीं. फिर जब वो सभा में पहुंचीं तो आदेश दिया कि उनके बेटे मालोजीराव के हाथ-पैर बांध दिए जाएं और उन्हें ठीक वैसे ही रथ से कुचलकर मृत्यु दंड दिया जाए, जैसे गाय के बछड़े की मौत हुई थी. अहिल्या बाई के इस आदेश से सभी एकदम सहम गए. 

Statue of Ahilyabai holkar
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उनके आदेश को मानने की हिम्मत किसी में नहीं दिख रही थी. कोई भी उस रथ की लगाम पकड़ने को तैयार नहीं हुआ. वो काफी देर इंतजार के बाद खुद उठीं और आकर रथ की लगाम थाम लीं. लेकिन जैसे ही वो रथ को आगे बढ़ाने लगीं, तभी एक ऐसी घटना हुई जिसने सभी को मन से झकझोर दिया. क्योंकि जैसे ही वो रथ को आगे बढ़ा रही थीं तभी वही गाय आकर उनके रथ के सामने खड़ी हो गई. 

Ahilyabai holkar (सीरियल का पोस्टर)
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उन्होंने उस गाय को रास्ते से हटाने के लिए कहा, लेकिन वो बार बार आकर रथ के सामने खड़ी हो जाती. इस घटना से प्रभावित दरबारी और मंत्रियों ने कहा कि आप इस गाय का इशारा समझ‍िए, वो भी चाहती है कि आप बेटे पर दया करें. किसी मां को अपने बेटे के खून से अपने हाथ नहीं रंगने देना चाह रही. सभी ने कहा कि मालोजी राव अब बहुत कुछ सीख चुके हैं. वो कभी भविष्य में ऐसी घटना नहीं दोहराएंगे. 

Ahilyabai holkar (सीरियल का पोस्टर)
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बता दें कि अहिल्या (1737 से 1795) ने मालवा की रानी के रूप में 28 सालों तक शासन किया. ओंकारेश्वर पास होने के कारण और नर्मदा के प्रति श्रद्धा होने कारण उन्होंने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया था. होलकर राज्य की निशानी और देवी अहिल्याबाई के शासन में बनवाई गईं चांदी की दुर्लभ मुहरें अब भी मल्हार मार्तंड मंदिर के गर्भगृह में रखी हुई हैं. इन मुहरों का उपयोग अहिल्या के समय में होता था. अहिल्या के आदेश देने के बाद मुहर लगाई जाती थी, आदेश पत्र शिव का आदेश ही माना जाता था. 

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