दुनिया में ऐसी कई शख्सियतें हुई हैं, जिनका जीवन लोगों के लिए मिसाल बन गया. ना केवल इतिहास में बल्कि आज भी लोग उनसे प्ररेणा लेते हैं और आगे भी लेते रहेंगे. आज नजर ऐसी ही प्ररेणादायक हस्तियों पर-
अल्बर्ट आंस्टीन
दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of Relativity) से ब्रह्मांड के नियमों को समझाया. आइंस्टीन के इस सिद्धांत ने विज्ञान की दुनिया को बदल कर रख दिया. आइंस्टीन जितने बड़े वैज्ञानिक थे, उतने ही बड़े दार्शनिक भी थे. उनके सिद्धांत साइंस की दुनिया के अलावा आम जिंदगी में भी कई जगह सही साबित होते हैं. आइंस्टीन ने साइंस के नियमों को समझाते हुए कई बार सफलता, असफलता, कल्पना और ज्ञान के बारे में कई ऐसी बातें कही हैं, जिनके आधार पर कठिनाइयों को पार कर सफलता की राह पर बढ़ा जा सकता है.
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स्टीफन हॉकिंग
स्टीफन हॉकिंग 75 साल के हैं और मोटर न्यूरोन नाम की बिमारी से पीड़ित हैं. इसलिए वो बोल नहीं सकते हैं और शारिरिक रूप अक्षम भी हैं. हालांकि इंटेल द्वारा बनाई गई एक खास मशीन के जरिए वो दुनिया तक अपनी बातें और अपने आविष्कार पहुंचाते हैं.
मदर टेरेसा
दुनिया में और खास तौर से भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसा ही कोई होगा, जो मदर टेरेसा के नाम से वाकिफ न हो. उन्होंने अपनी पूरा जिंदगी दूसरों की सेवा में समर्पित कर दी. उनके द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी 123 देशों में सक्रिय है. इसमें कुल 4,500 सिस्टर हैं. मदर के पास 5 देशों की नागरिकता अलग-अलग वक्त पर रही. इनमें ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया, युगोस्लाविया और भारत शामिल थे.
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निकोलस कॉपरनिकस
मशहूर यूरोपीय खगोलशास्त्री और गणितज्ञ हैं. जिनके नाम पर नई दिल्ली में एक मार्ग का नाम भी कॉपरनिकस मार्ग रखा गया है. निकोलस के पिता कॉपर के एक अच्छे व्यापारी थे, इसी वजह से निकोलस का नाम कॉपरनिकस रखा गया. निकोलस ने अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियां बिना किसी दूरबीन के देखीं. वे घंटो अपनी आंखों से अंतरिक्ष को देखकर नई खोज करने की कोशिश करते रहते थे. निकोलस ने बताया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केन्द्र में नहीं है, इसके लिए उन्होंने हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल को लागू किया था. इससे पहले लोग अरस्तू की बात पर विश्वास करते थे कि पृथ्वी ब्रह्मांड के केन्द्र में है.
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अब्दुल कलाम आजाद
अबुल पाकिर जैनुल आबदीन अब्दुल कलाम को हमारी पूरी जनरेशन 'कलाम' कहकर पुकारती है. रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन से अखबार उठाते, उन्हें पढ़कर अंग्रेजी सीखते, वे आम जन के बेहद करीब नजर आते थे. उनकी पूरी जिंदगी इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण रही कि गर इंसान चाह जाए तो कुछ भी असंभव नहीं. उन्होंने अपना रास्ता स्वयं तैयार किया. रामेश्वरम की गलियों से निकल कर एयरोस्पेस जैसे कठिन विषय और क्षेत्र में पूरी दुनिया के समक्ष भारत को स्थापित करना होई हंसीठट्ठा थोड़े ही न था. उन्होंने भारत को वैश्विक परिदृश्य में स्थापित किया.