Army Day 2020: आज देशभर में 72वां सेना दिवस मनाया जा रहा है. हर साल 15 जनवरी को देश के बहादुर सैनिकों और देश को पहला भारतीय जनरल मिलने की याद में आर्मी डे या थल सेना दिवस मनाया जाता है. आपको बता दें कि 15 जनवरी 1949 को जनरल के एम करियप्पा ने भारत के पहले थल सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी. इससे पहले वे ब्रिटिश सेना के अधिकारी थे. जनरल करियप्पा ने ब्रिटिश सेना के जनरल रॉय बुचर की जगह ली थी. बुचर अंतिम कमांडर इन चीफ थे.
इस वजह से 15 जनवरी को मनाया जाता है आर्मी डे
1 जनवरी 1948 से 15 जनवरी 1949 तक बुचर देश के कमांडर इन चीफ रहे थे. आजादी के बाद भी ब्रिटिश सेना के अधिकारी ही थल सेना के प्रमुख के पद पर तैनात थे. जनरल केएम करियप्पा के आर्मी चीफ बनने से पहले इस पद पर दो ब्रिटिश अधिकारी यह जिम्मेदारी संभाल चुके थे. बुचर से पहले सर रॉबर्ट मैकग्रेगर मैकडोनाल्ड लॉकहार्ट इस पद पर रह चुके थे. 15 जनवरी 1949 को जनरल केएम करियप्पा ने कमांडर इन चीफ का पद संभाला. तब से हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे के तौर पर मनाया जाता है.
कौन थे केएम करियप्पा
करियप्पा ने 1947 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था. कर्नाटक में जन्मे करियप्पा के प्रथम सेनाध्यक्ष बनने के उपलक्ष्य में 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. आपको बता दें, करियप्पा के पद ग्रहण करने से पहले भारतीय सेना के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बुचर थे. उसके बाद भारतीय सेना आजाद हुई थी. रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1949 में भारतीय थल सेना में करीब 2 लाख सैनिक थे.
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करियप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक में हुआ था. घर में उन्हें सभी लोग प्यार से 'चिम्मा' कहकर पुकारते थे. करियप्पा की प्रारंभिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई. शुरू से ही वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे. उन्हें मैथ्स और चित्रकला बेहद पसंद थी. साल 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में एडमिशन ले लिया.
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करियप्पा को मिले थे कई सम्मान
बता दें, अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने उन्हें 'Order of the Chief Commander of the Legion of Merit' से सम्मानित किया था. पूरी ईमानदारी से देश को दी गई उनकी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने साल 1986 में उन्हें 'Field Marshal' का पद प्रदान किया. भारतीय सेना से साल 1953 में रिटायर होने के बाद करियप्पा ने साल 1954 से 1956 तक न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर काम किया. करियप्पा यूनाइटेड किंगडम स्थित Camberly के इंपीरियल डिफेंस कॉलेज में ट्रेनिंग लेने वाले पहले भारतीय थे. यूनाइटेड किंगडम से उन्हें ‘Legion of Merit’ की उपाधि मिली थी.