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कोहिनूर ही नहीं इन चीजों को भी देश में देखना चाहेंगे आप

कोहिनूर को लाने की जद्दोजहद फिर एक बार सुर्खियों में छाई है लेकिन क्‍या आपको मालूम है कोहिनूर के अलावा भी ब्रिटेन में ऐसी चीजे हैं जिसे हर भारतीय वापस देश में देखना चाहेगा. जानें उनके बारे में:

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महात्‍मा गांधी - महाराजा रंजीत सिंह
महात्‍मा गांधी - महाराजा रंजीत सिंह

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कोहिनूर को लाने की जद्दोजहद फिर एक बार सुर्खियों में छाई है लेकिन क्‍या आपको मालूम है इस बेशकीमती हीरे के अलावा भी ब्रिटेन में ऐसी चीजें हैं जिसे हर भारतीय देश में देखना चाहेगा. जानें उनके बारे में:

1. कश्मीर का सचित्र इतिहास:
सिख साम्राज्य के दौर में कश्मीर और निखर के सामने आया और इसी के विकास की नौ तस्वीरों की लंदन में बोली लगाई गई थी जिसमें महाराजा रंजीत सिंह की तस्वीर भी थी.

2. महाराजा राजिंदर सिंह (पटियाला) का चित्र:
महिला अस्पताल और अनाथालय बनवाने के लिए महाराज राजिंदर सिंह को खासतौर पर जाना जाता है. वह पहले भारतीय थे जिनके पास अपना हवाई जहाज और कार थी. इनके चित्र की जब बोली लगाई गई तो कोई खरीदने वाला नहीं था.

3. महात्मा गांधी का पत्र:
1943 में जब महात्मा गांधी को घर में नजरबंद किया गया था तो उन्होंने ब्रिटिश सरकार को यह पत्र लिखा था. भारतीय इतिहास में इसे सबसे महत्वपूर्ण पत्र माना जाता है. टाइप किए गए तीन पन्नों के पत्र में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत को कहा था कि उन्हें नजरबंद करना दरअसल जनता के पैसों की बर्बादी है.

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4. महाराजा रंजीत सिंह का सिंहासन:
भारत के बड़े सिख सम्राटों में से एक महाराजा रंजीत सिंह का सिंहासन ब्रिटेन के म्यूजियम की शान बढ़ा रहा है. रंजीत सिंह के सोने के सिंहासन की पूरी दुनिया में चर्चा रहती थी.

5. दारा शिकोह की तलवार :
मुगल बादशाह शाहजहां के बड़े पुत्र और सूफीवाद के विद्वान दारा शिकोह की तलवार भी विक्टोरिया ऐंड अलबर्ट म्यूजियम की शान बढ़ा रही है.

6. बोधिसत्व मन्हूश्री की मूर्ति:
महायान बौद्ध धर्म में सबसे पुराना बोधिसत्व बोधिसत्व मन्हूश्री है. तांबे की मिश्रित धातु से बनी इस मूर्ति की बोली न्यू यॉर्क में 2 करोड़ 20 लाख रुपये लगी थी.

7. बर्मिंगम बुद्ध :
असल में इसको सुल्तानगंज बुद्ध के नाम से जाना जाता है. 1861 में एक गुम बौद्ध मठ में इसे पाया गया था जिसे बर्मिंगम का उद्योगपति खरीद ले गया था. 500 किलोग्राम की मूर्ति बर्मिंगम म्यूजियम में मौजूद है.

8. अमरावती पट्टिका:
दो हजार साल पुरानी और बुद्ध के जीवन को बयां करती इस पट्टिका की खोज ब्रिटिश आर्मी के दो जवानों ने की थी. बाद में उन्होंने इसे ब्रिटिश म्यूजियम को बेच दिया था.

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