अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों में जहां गांधी और नेहरू जैसे नरम स्वभाव की शख्सियतें लगी थीं, वहीं लाल-बाल-पाल जैसे गरम रुख के नेता भी थे. इसी गरम तिकड़ी का हिस्सा थे बिपिन चंद्र पाल और उनका इंतकाल साल 1932 में 20 मई की तारीख में ही हुआ था.
1. बिपिन चंद्र पाल, लाल-बाल-पाल का हिस्सा थे और भारत में क्रांतिकारी और उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम देने में विश्वास रखते थे.
2. उन्होंने कई अखबार भी निकाले जिनमें परिदर्शक (बंगाली साप्ताहिक, 1886), न्यू इंडिया (1902, अंग्रेजी साप्ताहिक) और वंदे मातरम(1906, बंगाली दैनिक) सबसे प्रमुख रहे हैं.
3. वे असहयोग आंदोलन जैसे विरोध व अहिंसावादी विरोध के तौर-तरीकों के सख्त खिलाफ थे.
4. स्वदेशी, गरीबी उन्मूलन और शिक्षा के लिए उन्होंने खूब काम किया था.