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जानें हॉकी के सबसे बड़े जादूगर ध्यानचंद के बारे में

वो खेलते थे, तो गेंद स्टिक पर चिपक जाती थी. हॉकी के सबसे बड़े जादूगर ध्यानचंद को हमारी श्रद्धांजलि.

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हॉकी के सबसे बड़े जादूगर ध्यानचंद
हॉकी के सबसे बड़े जादूगर ध्यानचंद

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वो खेलते थे, तो गेंद स्टिक पर चिपक जाती थी. हॉकी के सबसे बड़े जादूगर ध्यानचंद को हमारी श्रद्धांजलि.

1. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद के राजपूत घराने में हुआ. ध्यानचंद को फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में ब्रैडमैन के बराबर माना जाता है.

2. जब वे हॉकी लेकर मैदान में उतरते थे तो गेंद इस तरह उनकी स्टिक से चिपक जाती थी जैसे वे किसी जादू की स्टिक से हॉकी खेल रहे हों.

3. हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई. जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई. ध्यानचंद ने हॉकी में जो कीर्तिमान बनाए, उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है.

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4. ध्यानचंद की शुरुआती शिक्षा के बाद 16 साल की उम्र में साधारण सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए. जब 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट' में भर्ती हुए उस समय तक उनके मन में हॉकी के प्रति कोई विशेष दिलचस्पी या रुचि नहीं थी. ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को है.

5. ध्यानचंद ने तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। भारत ने 1932 में 37 मैच में 338 गोल किए, जिसमें 133 गोल ध्यानचंद ने किए थे. दूसरे विश्व युद्ध से पहले ध्यानचंद ने 1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिल्स) और 1936 (बर्लिन) में लगातार तीन ओलंपिक में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल दिलाए. वियना में ध्यानचंद की चार हाथ में चार हॉकी स्टिक लिए एक मूर्ति लगी है.

6. 1956 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उनके जन्मदिन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है. इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं. भारतीय ओलंपिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था.

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