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जानिए गिलगिट-बालटिस्‍तान से जुड़े तथ्‍य

भारत सरकार ने हाल में गिलगिट और बालटिस्तान में चुनावों को सिरे से खारिज़ करते हुए इसे पाकिस्तान की स्‍थानीय लोगों को राजनीतिक अधिकार ना देने से जुड़ी गैरकानूनी कोशिश बताया. लेकिन भारत, पाकिस्तान और चीन इस इलाके को लेकर इतने हैरान-परेशान क्यों हैं:

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भारत सरकार ने हाल में गिलगिट और बालटिस्तान में चुनावों को सिरे से खारिज़ करते हुए इसे पाकिस्तान की स्‍थानीय लोगों को राजनीतिक अधिकार ना देने से जुड़ी गैरकानूनी कोशिश बताया. लेकिन भारत, पाकिस्तान और चीन इस इलाके को लेकर इतने हैरान-परेशान क्यों हैं:

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1. बालटिस्‍तान की भौगोलिक स्थिति
यह पाकिस्तान के उत्तरी छोर पर बसा है और इसकी सरहद पांच तरफ लगती है
दक्षिणः पाक अधिकृत कश्मीर
पश्चिमः ख़ैबर पख्‍़तूनख्वाह
उत्तरः वख़ान, अफगानिस्तान
पूर्वः शिनज़ियांग, चीन
दक्षिण-पूर्वः जम्मू कश्मीर
कुल क्षेत्रः वर्ग किलोमीटर
आबादीः करीब 10 लाख

2. भारत-पाकिस्‍तान का दावा
भारत का दावा है कि यह इलाका उसका अभिन्न अंग है, जिसे पाकिस्तान ने साल 1947 में गलत तरीके से कब्ज़ा लिया था.
पाकिस्तान के संविधान में इसका कोई ज़िक्र नहीं है. ये ना तो पाक-अधिकृत कश्मीर का हिस्सा बताया गया है और ना ही पाकिस्तान का कोई सूबा.
साल 1994 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह हिस्सा तथाकथित आज़ाद कश्मीर नहीं, बल्कि जम्‍मू-कश्मीर स्टेट का हिस्सा है.

3. चुनावी इतिहास
8 जून को गिलगिट-बालटिस्तान लेजिसलेटिव असेंबली के आम चुनाव होने थे, जिस पर भारत की आपत्ति के बाद पाक सरकार ने रोक लगा दी है.
यह चुनाव 33 सीटों वाली संस्‍था के लिए होने थे, जो गिलगिट-बालटिस्तान एम्पावरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 के तहत बनाई गई थी. इस ऑर्डर के ज़रिए इस इलाके को शासन की स्वायत्तता दी गई थी. इससे पहले इस्लामाबाद से यहां शासन किया जाता था.
पहली बार यहां चुनाव साल 2009 में हुए थे. दिसंबर 2014 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

4. भारत का गुस्सा
"जम्मू-कश्मीर राज्य का हर हिस्सा भारत का अभिन्न अंग है और इसमें गिलगिट-बालटिस्तान भी आता है. ये चुनाव कुछ और नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में अपने गैरकानूनी कब्ज़े को सही ठहराने की जबरन कोशिश है."
- विकास स्वरूप, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

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5. चीन का बढ़ता असर बना सिरदर्दी
चीन और पाकिस्तान के बीच हाल में कई समझौते हुए.
CPEC यानी चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर इस खर्च का फोकस रहेगा.
3000 ‌किलोमीटर लंबा कॉरिडोर पाकिस्तान में ग्वादर को चीन के शिनज़ियांग इलाके को जोड़ेगा.
225 किलोमीटर लंबा अफगानिस्तान का वख़ान कॉरिडोर भी इससे जुड़ेगा.
CPEC से इस इलाके में चीन का दखल बढ़ेगा और सामरिक नज़रिए से अहम इस क्षेत्र में भारत की दिक्‍कतें बढ़ जाएंगी.
35 चीनी परियोजनाएं पाक अधिकृत कश्मीर में जारी हैं और इन इलाकों में उसके सैनिक भी मौजूद हैं.

6. और बढ़ती जा रही है भारत की चिंता
क्योंकि इस संवेदनशील इलाके में चीन और पाकिस्तान के बीच लगातार मज़बूत होती दोस्ती, सरहद पर भारत की टेंशन बढ़ा सकती है.

इनपुट: NEWSFLICKS

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