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जिस ऑस्कर ट्रॉफी के लिए होते हैं करोड़ों खर्च, जानिए उसकी कीमत

सबसे बड़े अवॉर्ड ऑस्‍कर ट्रॉफी की कीमत 100 रुपये से भी कम है.

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Oscar Award Trophy
Oscar Award Trophy

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ऑस्कर मनोरंजन की दुनिया की सबसे बड़ी ट्रॉफी मानी जाती है. इस अवॉर्ड की ट्रॉफी का एक अलग ही महत्व होता है. जहां हर कलाकार इस ट्रॉफी को पाने का ख्वाब देखता है. वहीं क्या आप जानते हैं इस अवॉर्ड की ट्रॉफी की कीमत कितनी होती है?

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जानें ऑस्कर ट्रॉफी की कीमत के बारे में...

सोने की परत में लिपटी ऑस्कर ट्रॉफी देखने में भले ही बेहद महंगी दिखती हो, पर इसकी कीमत महज 1 डॉलर है यानी करीब 65 रुपये. बता दें, अभी 1 डॉलर की वैल्यू भारत में करीब 65 रुपये है. ये कीमत ऑस्कर के आधिकारिक अकेडमी रेग्‍युलेशंस के अनुसार है.

वहीं ऑस्‍कर ट्रॉफी को गोल्‍डन लेडी भी कहा जाता है. एक ऑस्कर ट्रॉफी को तैयार करने में करीब 36 हजार रुपए का खर्च आता है, लेकिन बेचने जाओ तो यह सिर्फ 1 डॉलर में बिकती है.

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ट्रॉफी के लिए करोड़ों रुपये खर्च

महज 1 डॉलर की कीमत वाली इस ट्रॉफी को हासिल करने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल हॉलीवुड ऑस्‍कर ट्रॉफी हासिल करने के लिए 6 करोड़ से लेकर 33 करोड़ रुपए तक खर्च करते हैं.

ट्रॉफी को बेचने की शर्तें

ऑस्कर के नियम के अनुसार ऑस्कर विजेता उसकी ट्रॉफी का पूरा मालिकाना हक नहीं होता है. विजेता ट्रॉफी को चाहकर भी कहीं और नहीं बेच सकता. दरअसल दुनियाभर में कहीं भी अगर कोई ऑस्‍कर ट्रॉफी बेचना चाहता है, तो सबसे पहले यह इस ट्रॉफी को देने वाली एकेडमी को ही बेचना होगा. वहीं एकेडमी इस ट्रॉफी को सिर्फ 1 डॉलर में ही खरीदेगी.

इसका कारण है 1951 का एक नियम, जो कानूनन तय करता है कि किसी भी ऑस्‍कर को सबसे पहले एकेडमी को ही बेचा जाना चाहिए. जिसकी कीमत भी अकेडमी ही तय करती है और फिलहाल यह 1 डॉलर यानी करीब 65 रुपये है.

पहले 10 डॉलर थी ऑस्कर ट्रॉफी की कीमत

1951 के इस नियम के मुताबिक पहले एकेडमी ने ऑस्‍कर ट्रॉफी खरीदने के लिए 10 डॉलर (600 रुपए) की कीमत तय की थी, लेकिन 2015 के बाद ये नियम बदल दिया गया. साल 2015 में अमेरिका की एक अदालत ने एकेडमी के 1951 के नियम को सही ठहराया. इसके बाद अकेडमी ने ट्रॉफी की कीमत 10 से 1 डॉलर कर दी. अकेडमी रेग्‍युलेशंस के मुताबिक ट्रॉफी को कहीं नीलामी के लिए रखने से पहले या फिर कहीं बाहर बेचने से पहले इसे अकेडमी को दिया जाना चाहिए. जो ऐसा नहीं करेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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