दिग्गज तबला वादक उस्ताद कुरैशी अल्ला रक्खा खान की आज पुण्यतिथि हैं. 12 साल की उम्र से ही उन्हें तबला वादन में दिलचस्पी थी. तबले के जरिए अल्ला रक्खा ने ना सिर्फ अपनी किस्मत बदली, बल्कि तबले को भी नई बुलंदियों पर पहुंचाया. जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...
जानिए इस बड़े उस्ताद की खास बातें...
- उस्ताद कुरैशी अल्ला रक्खा खान का जन्म 29 अप्रैल 1919 में जम्मू और कश्मीर के पाघवल में हुआ था.
- 12 साल की उम्र से ही उन्हें तबला वादन में दिलचस्पी थी.
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- उन्होंने तबले के पंजाब घराने के मियां कादिर बख्श से तबले की तालीम लेनी शुरू की. उन्होंने पटियाला घराने के आशिक अली खान से राग विद्या सीखी.
- अल्ला रक्खा ने लाहौर में संगत वादक तौर पर अपना करियर शुरू किया. 1940 में वह बॉम्बे में आल इंडिया रेडियो में उन्होंने सबसे पहले एकल तबला वादन किया.
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- 1940 के दशक में आकाशवाणी के लिए काम किया और पहली तबला परफॉर्मेंस भी दी.
- साल 1977 में पद्मश्री और 1982 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाजे गए.
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- अमेरिकन संगीतज्ञ मिकी हार्ट ने इनके बारे में कहा था कि अल्लाह रक्खा आइंस्टीन हैं, पिकासो हैं, वो इस ग्रह पर लय-ताल संबंधी संगीत के सबसे बड़े दिग्गज हैं.
- उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में के संगीत में तबला वादन किया. वह पंडित रविशंकर के तबले की साथ बेहतरीन संगत करते थे.