यूनेस्को ने चंडीगढ़ के केपीटोल कांप्लेक्स और सिक्किम के कंचनजंघा पार्क और बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. जानें नालंदा यूनिवर्सिटी से जुड़े रोचक बातें.
800 सालः नालंदा 5वीं से 12वीं सदी तक वजूद में थी. इसकी नींव गुप्त राजवंश ने रखी, जिन्हें हिंदू और बौद्ध संस्थाओं का समर्थन मिला.
आवासीय स्कूलः दुनिया की सबसे प्राचीन रेज़िडेंशियल यूनिवर्सिटी में से एक नालंदा में समग्र पाठ्यक्रम था और यहां दुनिया भर से लोग पढ़ने आते थे.
विशालः नालंदा में एक वक़्त 2 हज़ार से ज़्यादा शिक्षक और दस हज़ार छात्र थे. इसकी तुलना 378 साल पुरानी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से करें, तो उसमें 2,400 शिक्षक और 21 हज़ार छात्र हैं.
2006 में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कालम ने नालंदा यूनिवर्सिटी को दोबारा जीवन देने का सुझाव सामने रखा. बिहार सरकार ने राजगीर में यूनिवर्सिटी के लिए 450 एकड़ ज़मीन खरीदी. नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की अगुवाई में 2007 में परियोजना की निगरानी के लिए टीम का गठन किया गया.
पुष्पगिरिः कलिंग (अब उड़ीसा) में शिक्षण के सबसे पुराने बौद्ध केंद्रों में से एक इस जगह स्तूप, मठ, मंदिर और प्रतिमाएं थीं, जो गुप्त राजवंश की छाया रखती हैं.
विक्रमशिलाः बिहार में भागलपुर के करीब. यह बौद्ध के दो सबसे अहम केंद्रों में से एक था. इसमें 100 से ज़्यादा शिक्षक और 1,000 से ज़्यादा छात्र थे.
और दुनिया की बातें
प्लेटॉनिक एकेडमीः यूनान में प्लेटो ने इसकी नींव रखी.
पांडीडकतेरियॉनः प्राचीन इंस्ताबुल में बनी यह जगह इम्पीरियल सर्विस में अथॉरिटी पोस्ट के लिए ट्रेनिंग दिया करती थी.
गोंडीशपुरः फारस शहर गुंदेशपुर में बना यह संस्थान मेडिसिन, फिलॉसफी और विज्ञान में ट्रेनिंग दिया करता था.
इनपुट: News Flicks