जाने-माने उपन्यासकार वेद प्रकाश शर्मा की आज पहली पुण्यतिथि है. उनका निधन पिछले साल यानी 17 फरवरी 2017 को हुआ था. वेद प्रकाश 'वर्दी वाला गुंडा' नामक उपन्यास से मशहूर हुए थे. उन्होंने कुल 176 उपन्यास लिखे थे. उनका पहला उपन्यास था 'दहकता शहर' जो साल 1973 में प्रकाशित हुआ था.
दूसरों के नाम से लिखा करते थे
बताया जाता है कि काफी समय तक वेद प्रकाश ने दूसरों के नाम से लिखा करते थे. जब उनके लिखे उपन्यास पढ़े जाने लगे और वे जिनके नाम से लिखते थे, वो लोग चर्चित होने लगे उसके बाद उन्होंने पहली बार 1973 में 'आग के बेटे' में उपन्यास के पहले पृष्ठ पर अपना नाम छापा था. इसके बाद के उपन्यासों में उनके नाम के साथ फोटो भी छापे जानी लगी. 'कैदी नंबर 100' नॉवेल तो इतना लोकप्रिय हुआ था कि उसकी 2,50,000 प्रतियां छापी गई थीं.
वेद प्रकाश शर्मा: बिगड़ा तो बड़ा बन गया
वर्दी वाला गुंडा
ये ऐसा उपन्यास था जिससे वे पूरे देश में मशहूर हो गए. साल 1993 में आए इस उपन्यास ने मानो तहलका मचा दिया था. पाठकों की इतनी बड़ी संख्या में उन्हें चिट्ठियां भेजीं कि वे उन्हें पढ़ ही नहीं पाते थे.
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ऐसे आया वर्दी वाला गुंडा लिखने का विचार
आम बोलचाल की भाषा में लिखने वाले वेद प्रकाश शर्मा देश में सबसे ज्यादा बिकाऊ लेखक बन गए थे. वे कहते थे कि, 'मैं अखबारों और अपने इर्द-गिर्द की घटनाओं से विषय चुनता हूं'. एक बार वे मेरठ में बेगमपुल के पास घूम रहे थे, तभी एक दारोगा को कुछ लोगों पर ऐसे डंडे बरसाते देखा, मानो कोई गुंडा हो. इस तरह वर्दी वाला गुंडा का विचार पनपा. वेद प्रकाश हमेशा यही चाहते थे कि उन्हें ऐसे लेखक के तौर पर याद किया जाए जो लोगों को सामाजिक संदेश दें और साथ में मनोरंजन भी करें.