भारतीय संविधान के आर्टिकल 356 को अगर सीधे-सरल भाषा में परिभाषित करें तो इसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है. यह शासन हाल में उत्तराखंड में लगा है. इस आर्टिकल के तहत राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है और राज्य के सत्ता की बागडोर राज्य सरकार की बजाय गवर्नर के पास चली जाती है. बता दें कि गवर्नर की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है.
आर्टिकल 356 के लागू होने के बाद राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली हो जाती है और मंत्रीमंडल समूह भी कोई काम नहीं कर सकता है. हालांकि इस आर्टिकल का हमारे देश में उपयोग कम और दुरुपयोग ज्यादा हुआ है. केन्द्र में विराजमान सरकारें समय-समय पर विपक्षी पार्टियों को परेशान करने के लिए इस आर्टिकल का इस्तेमाल करती हैं.
राष्ट्रपति शासन (आर्टिकल 356) लगाने की शर्तें...
- राज्य की विधानसभा अपना मुख्यमंत्री नहीं चुन पाती
- गठबंधन का ढह जाना
- एसेंबली में बहुमत का न होना
- किन्हीं अपरिहार्य कारणों से चुनाव का न हो पाना
- 90 के दशक तक ऐसा अक्सर देखा जाता था कि केन्द्र की सरकारें राज्यपाल की मदद से ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देती थीं. हालांकि सन् 1994 में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद इसका अनुचित इस्तेमाल कम हो गया.
अब तक कहां लगा है राष्ट्रपति शासन -
- उत्तराखंड अपने सृजन के 15 सालों में 7 मुख्यमंत्री देख चुका है.
- अविभाजित उत्तरप्रदेश अब तक 9 बार राष्ट्रपति शासन का दंश झेल चुका है.
- अलग-अलग राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अब तक 123 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है.
इन राज्यों में इतनी बार लगा है राष्ट्रपति शासन -
आंध्र प्रदेश: 2
अरुणाचल प्रदेश: 4
असम: 4
बिहार: 8
दिल्ली: 1
गोवा: 5
गुजरात: 5
हरियाणा: 3
हिमाचल प्रदेश: 2
जम्मू कश्मीर: 6
झारखंड: 3
कर्नाटक: 6
केरल: 4
मध्य प्रदेश: 3
महाराष्ट्र: 2
मणिपुर: 10
मेघालय: 2
मिजोरम: 3
नगालैंड: 4
उड़ीसा: 6
पुडुचेरी: 6
पंजाब: 8
राजस्थान: 4
सिक्किम: 2
तमिलनाडु: 4
त्रिपुरा: 3
उत्तर प्रदेश: 9
पश्चिम बंगाल: 4
ये तथ्य भी जानें-
- जम्मू कश्मीर में अधिकतम राष्ट्रपति शासन 6 साल 264 दिन चला है तो वहीं न्यूनतम कर्नाटक राज्य में 7 दिनों के लिए चला है.
- आमतौर पर राष्ट्रपति शासन उन राज्यों में लगाया जाता है जहां केन्द्र में विराजमान पार्टी सत्ता में नहीं होती लेकिन दो ऐसे भी मौके आए हैं जब इंदिरा गांधी सरकार ने कांग्रेस शासित राज्यों में भी राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. पंजाब में सन् 1983 और आंध्र प्रदेश में 1973 में ऐसा हुआ था.