साल 1962 को भारतीय सेना के लिटमस टेस्ट के तौर पर याद किया जाता था. भारत और चीन की सेनाएं आपस में भिड़ पड़ी थीं. भारतीय सेना न्यूनतम संसाधनों के बावजूद चीन की सेना से लड़ती रही. इस क्रम में भारत ने अपने कई जाबांज सैनिक और अफसर भी खोए. मेजर शैतान सिंह भी एक ऐसे ही शख्स का नाम है. वे साल 1962 में महज 37 वर्ष के थे और देश पर कुर्बान हो गए थे. उनकी शहादत को हमारा सलाम...
1. 1962 की भारत-चीन जंग में अपने उल्लेखनीय नेतृत्व की वजह से मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परम वीर चक्र से नवाजा गया.
2. 1962 की जंग में 13वीं कुमाऊंनी बटालियन की c कंपनी ने रेजांग ला दर्रे में चीनी सैनिकों का सामना किया, जिसकी अगुआई शैतान सिंह कर रहे थे.
3. पहली खेप में 350 चीनी सैनिकों ने और दूसरी बार 400 सैनिकों ने हमला बोला लेकिन मेजर शैतान सिंह की अगुआई में भारतीय सेना ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया.
4. वे गोलियों से घायल हो गए थे. इसके बावजूद वे एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर जाकर सैनिकों का हौसला बढ़ाते रहे थे.
5. मेजर शैतान सिंह की सामरिक सूझबूझ और साहसिक नेतृत्व की वजह से इस मोर्चे पर भारतीय सेना ने 1000 से अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराया.
6. इस जंग में 123 में से 109 भारतीय सैनिक मारे गए. जो 14 जीवित रहे उनमें से 9 गंभीर रूप से जख्मी थे.