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इन कदमों के कारण मनमोहन सिंह बन गए भारत में आर्थिक उदारीकरण के प्रणेता

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उदारवादी अर्थव्यवस्था का जनक माना जाता है. उनके जन्मदिन पर जानिए उन्होंने किन ऐतिहासिक कार्यों का श्रेय दिया जाता है...

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज 86वां जन्मदिन है और सोशल मीडिया पर आम लोगों सहित राजनीति से जुड़े कई लोग उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री को भारत में उदारवादी अर्थव्यवस्था का जनक माना जाता है. देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले मनमोहन का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.

1991 के बाद ग्लोबल बना भारत

1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे. देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत इन्होंने ही की थी. इसके बाद पीएम रहते हुए मनरेगा की शुरुआत भी एक बड़ा फैसला रहा, मनरेगा के कारण कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया.

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ये थे अहम फैसले

1991 से 1996 के बीच उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों की जो रूपरेखा, नीति और ड्राफ्ट तैयार किया, उसकी दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है. मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को बाकायदा एक ट्रीटमेंट के तौर पर पेश किया. भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ने के बाद उन्होंने आयात और निर्यात के नियम भी सरल किए. साथ ही उन्होंने रोजगार गारंटी योजना, आधार कार्ड योजना, भारत और अमेरिका के बीच हुई न्यूक्लियर डील, शिक्षा का अधिकार आदि का श्रेय भी उन्हें जाता है.

आर्थिक सुधारों में रहे मौजूद

- मनमोहन सिंह ने साल 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की. उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की. 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री हासिल की.

- वर्ष 1971 में मनमोहन सिंह वाणिज्‍य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए. इसके तुरंत बाद साल 1972 में वित्‍त मंत्रालय में मुख्‍य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई. मनमोहन सिंह ने जिन सरकारी पदों पर काम किया वे हैं, वित्‍त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग में उपाध्‍यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्‍यक्ष.

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- स्‍वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में मोड़ तब आया जब मनमोहन सिंह ने वर्ष 1991 से 1996 तक की अवधि में भारत के वित्‍त मंत्री के रूप में कार्य किया. आर्थिक सुधारों की एक व्‍यापक नीति से परिचय कराने में उनकी भूमिका अब विश्‍वव्‍यापी रूप से जानी जाती है.

- अपने राजनीतिक जीवन में मनमोहन सिंह वर्ष 1991 से भारत के संसद के ऊपरी सदन (राज्‍यसभा) के सदस्‍य रहे हैं, जहां वह वर्ष 1998 और 2004 के दौरान विपक्ष के नेता थे. मनमोहन सिंह को 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्री काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है.

- 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. इस पद पर उन्होंने निरन्तर 5 सालों तक कार्य किया, जबकि 1990 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए.

- मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में प्रदान किए गए कई पुरस्‍कारों और सम्‍मानों में भारत का दूसरा सर्वोच्‍च असैनिक सम्‍मान, पद्म विभूषण भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्‍म शताब्‍दी पुरस्‍कार (1995), वर्ष के वित्‍त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994), वर्ष के वित्‍त मंत्री का यूरो मनी एवार्ड (1993) क्रैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्‍कार (1956), और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्‍स कॉलेज में विशिष्‍ट कार्य के लिए राईटस पुस्‍कार (1955) प्रमुख थे.

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