दुनिया में अधिकांश लोग पैदा होते हैं और सामान्य जीवन जीते हुए खत्म हो जाते हैं. वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनकी जिंदगी किंवदंती हो जाती है.
ज्योतिबा फुले भी एक ऐसी ही किंवदंती का नाम है. वे साल 1827 में 11 अप्रैल को जन्मे थे.
उन्होंने निचली जातियों के लिए "दलित" शब्द को गढ़ने का काम किया था.
साल 1873 के सितंबर माह में उन्होंने 'सत्य शोधक समाज' नामक संगठन का गठन किया था.
वे बाल-विवाह के मुखर विरोधी और विधवा-विवाह के पुरजोर समर्थक थे.
ज्योतिबा फुले ने ब्राम्हणवाद को धता बताते हुए बिना किसी ब्राम्हण-पुरोहित के विवाह-संस्कार शुरू कराया और बाद में इसे मुंबई हाईकोर्ट से मान्यता भी दिलाई.
उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले भी एक समाजसेविका थीं.
अपनी पत्नी के साथ मिल कर उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए एक स्कूल भी खोला था. यह भारत में अपने तरह का अलहदा और पहला मामला था.
सौजन्य : NEWSFLICKS