आज भले ही टेक्नोलॉजी की मदद से हम आसानी से अपना मैसेज दूसरों तक पहुंचा पाते हैं. लेकिन हमारी चिट्ठी में लिखी बातों को मंज़िल तक पहुंचाने वाली पहली डाक टिकट को कैसे भुलाया जाए.
दुनिया के पहली डाक टिकट 'पेनी ब्लैक' का पहला आधिकारिक इस्तेमाल 6 मई 1840 को हुआ था. जरा सोचो, अगर इस डाक टिकट की शुरूआत ना होती तो कागज में लिखे अल्फाज कैसे अपने करीबी दोस्तों और परिवार के पास पहुंच पाते.
जानते हैं पहले डाक टिकट की शुरूआत के बारे में
1. विश्व में पहला डाक टिकट आज से डेढ़ सौ साल पहले ब्रिटेन में जारी हुआ था. यह डाक टिकट काले रंग में एक छोटे से चौकोर कागज पर छपा था.
2. इस डाक टिकट में ब्रिटेन की महारानी 'विक्टोरिया' का चित्र बना हुआ था. आज इस डाक टिकट को 'पेनी ब्लैक' के नाम से जाना जाता है.
ऐसा कलाकार जिसने न्यूड तस्वीर बनाकर भी बनाई हर घर में जगह
3. हालांकि 1 मई 1840 को ये डाक टिकट बिक्री के लिए जारी किया गया था, लेकिन डाक शुल्क के लिए इसे 6 मई 1840 से शुरू हुआ.
4. डाक सेवा में उस वक्त क्रांति आई, जब ये उन लोगों के बीच आ पहुंचा जिनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे.
5. 'पेनी ब्लैक' नामक डाक टिकट का अविष्कार अंग्रेजी टीचर और समाज सुधारक रोलैंड हिल ने किया था.
कॉस्ट्यूम डिजाइन में इनका कोई तोड़ नहीं, दिलाया देश को पहला OSCAR
6. इस डाक टिकट को एक पेनी के खर्च पर 14 ग्राम तक का पत्र भेजा जा सकता था. उस वक्त ये बेहद किफायती था.
7. उस समय इन डाक टिकट की इतनी मांग थी कि कुल मिलाकर 6. 8 करोड़ पेनी ब्लैक डाक टिकट छापे गए.
8. इस टिकट का जीवनकाल करीब 1 साल का है.
...वो जिन्होंने कभी नहीं की नौकरी, पर मजदूरों के लिए थी बुलंद आवाज
9. पेनी ब्लैक डाक टिकट के बाद तो एक के बाद एक करके काफी देशों ने भी डाक टिकट जारी करना शुरू कर दिया.
10. भारत में डाक टिकटों की शुरुआत 1852 में हुई. भारत में सिंध प्रांत में और मुंबई कराची रूट पर प्रयोग के लिए सिंध डाक नामक डाक टिकट जारी किया गया.