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पुलिस स्मृति दिवस 2020: 21 अक्टूबर की कहानी, जब चीन के सामने अड़ गई थी पुलिस

साल 1959 में चीन से सटी भारतीय सीमा की रक्षा में बलिदान देने वाले दस पुलिसकर्मियों की याद में ये खास दिन मनाना शुरू किया गया था. जानिए पुलिस स्मृति दिवस मनाने की पूरी कहानी.

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Police Memorial Day 2020
Police Memorial Day 2020

Police Memorial Day 2020: देश की सीमा की रक्षा में लगे सैन्य बलों के बलिदान की आपने कई कहानियां सुनी होंगी. लेकिन हमारे पुलिसकर्मियों के शौर्य और बलिदान का इतिहास भी किसी से कम नहीं है. कुछ ऐसा ही साल 1959 में हुआ था जब पुलिसकर्मी पीठ दिखाने के बजाय चीनी सैनिकों की गोलियां सीने पर खाकर शहीद हुए. चीन के साथ देश की सीमा की रक्षा करते हुए जो बलिदान दिया था, उसकी याद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है. 

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ये बात साल 1959 21 अक्टूबर की है जब 10 पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया था. तब तिब्बत के साथ भारत की 2,500 मील लंबी सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी. इस घटना से एक दिन पहले 20 अक्टूबर, 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गया था. इस कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी. लाइन ऑफ कंट्रोल में ये जवान गश्त के लिए निकले. आगे गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आए. लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे. उस टुकड़ी में दो पुलिस कॉन्स्टेबल और एक पोर्टर शामिल थे. अगले दिन फिर सभी जवानों को इकट्ठा किया गया और गुमशुदा लोगों की तलाश के लिए एक टुकड़ी का गठन किया गया. 

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बता दें कि गुमशुदा हो गए पुलिसकर्मियों की तलाश में तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह के नतृत्व में एक टुकड़ी 21 अक्टूबर 2018 को सीमा के लिए निकली. इस टुकड़ी में करीब 20 पुलिसकर्मी शामिल थे. करम सिंह घोड़े पर सवार थे जबकि बाकी पुलिसकर्मी पैदल थे. पैदल सैनिकों को 3 टुकड़ियों में बांट दिया गया था. तभी दोपहर के समय चीन के सैनिकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलाना और ग्रेनेड्स फेंकना शुरू कर दिया. 
बता दें कि अपने साथियों की तलाश में निकली ये टुकड़ियां खुद की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं करके गई थीं, इसलिए ज्यादातर सैनिक घायल हो गए. तब उस हमले में देश 10 वीर पुलिसकर्मी शहीद हो गए जबकि सात अन्य बुरी तरह घायल हो गए. 

यही नहीं, इन सातों घायल पुलिसकर्मियों को चीनी सैनिक बंदी बनाकर ले गए जबकि बाकी अन्य पुलिसकर्मी वहां से निकलने में कामयाब रहे. 13 नवंबर, 1959 को शहीद हुए दस पुलिसकर्मियों का शव चीनी सैनिकों ने लौटा दिया. उन पुलिसकर्मियों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ हुआ. उन्हीं शहीदों के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नैशनल पुलिस डे या पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है. 

यहां देखिए, एक पुलिसकर्मी की शहीद दिवस पर लिखी कविता
खेकड़ा के मूल निवासी दीपक धामा वर्तमान में STF नोयडा में कार्यरत हैं. 
खाकी पर लिखी उनकी कविता को सुनकर हर पुलिस वाले का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. ए.डी.जी लखनऊ रेणुका मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल से दीपक का उत्साहवर्धन किया है. 

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यहां देखें ट्वीट

 

ऐसे हुई स्मृति दिवस मनाने की शुरुआत 
जनवरी 1960 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों का वार्षिक सम्मेलन हुआ था. इसी सम्मेलन में लद्दाख में शहीद हुए उन वीर पुलिसकर्मियों और साल के दौरान ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अन्य पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया. 

 

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